सुयोग्य वैज्ञानिक डॉ.भाभा

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30 अक्टूबर, 1909 को जन्में इस दूरदर्शी वैज्ञानिक ने केवल 57 वर्ष के छोटे से जीवन काल में जितना कार्य किया, उतना शायद कोई महामानव ही कर सकता है। डॉ. भाभा एक महान स्वप्न-दृष्टा प्रबंधक, संस्था संस्थापक, सौंदर्य प्रेमी तथा प्रकृति प्रेमी वैज्ञानिक थे।

कला, साहित्य तथा संगीत में उनकी रुचि बचपन से ही थी। उनके लिए कला भी उतनी ही महत्वपूर्ण थी जितना की गणित तथा भौतिक विज्ञान। शास्त्रीय तथा पाश्चात्य संगीत से उन्हें बेहद लगाव था। डॉ. भाभा वास्तुकला तथा भूसुदर्शनीकरण में भी वे अत्यंत रुचि रखते थे। बगीचों से उन्हें बेहद लगाव था।

सन्‌ 1967 में उन्होंने अवकाश संशोधन के लिए समिति बनाई। शून्य से उन्होंने इन संस्थाओं का निर्माण किया। सन्‌ 1985 में आणविक ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए जो जागितक परिषद बनाई गई थी, डॉ. भाभा ही उसके अध्यक्ष बने।

उत्कृष्ट दर्जे के वैज्ञानिक संशोधन का बीज डालने का कठिन सपना उन्होंने देखा और सरकारी दायरे में रहकर उस बीज का वटवृक्ष होते हुए देखा। यह समाज के लिए उनकी सबसे बड़ी देन है। डॉ. भाभा के प्रेरणादायी नेतृत्व की वजह से परमाणु ऊर्जा विभाग ने कृषि, चिकित्सा, उद्योग आदि विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की जिसका फायदा आम जनता को भी मिल रहा है।

एक सृजनशील व कार्यकारी प्रबंधक और वैज्ञानिक होने के साथ वे अतिसंवेदनशील और नेक इंसान थे। वे बुद्धिमान वैज्ञानिक, महान स्वप्न-दृष्टा, कुशल प्रबंधक, विशेषज्ञ, योग्य प्रशासक, संवेदनशील कलाकार तथा संगीत एवं साहित्य के प्रेमी तथा पेड़-पौधों के हितैषी थे। 24 जनवरी, 1966 में जिनेवा जाते समय विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई थी। माऊंटेन मॉ ब्लंक जैसे अतिसुंदर, धवलशुभ्र हिमशिखरों की गोदी में डॉ.भाभा हमेशा के लिए खो गए।

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