प्रतिष्ठा जी ने बताया कि पूरी यात्रा के दौरान मुझे बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जैसे कई बार शौचालय की कमी, कभी रहने के लिए जगह की कमी, तो कई बार सड़कें ही इतनी जर्जर थीं कि आने जाने के लिए साधन ही नहीं थे, जिस कारण पैदल ही जाना पड़ता था। अपनी इस यात्रा के दौरान मैंने वहां की जीवन शैली को करीब से देखा और समझा जिसे मैंने इस किताब में कायम रखने की कोशिश भी की है। बिहार के कई इलाके ऐसे थे जहां लोगों के पास खाने और रहने का कोई साधन उपलब्ध नहीं था। लेखिका ने कहा की बिहार कि ब्राह्मण महिलाएं हीन भावना के साथ रहती हैं। वह कोई भी ऐसा काम, जो गंदगी से जुड़ा हो, करने में अपनी तौहीन समझती हैं। इसी कमी को बिहार की महिलाओं को दूर करना था। मैं समझती हूं कि इन बिहार चुनावों में यह समस्या बहुत हद तक कम भी होती नज़र आयी। इस किताब में बिहार की शब्दावली पर विशेष ध्यान दिया गया है जो इसका मुख्य हिस्सा है और पाठकों द्वारा बहुत सराहा भी गया है।