कुछ कदम दूरी पर उनको एक साया दिखी। ताकत का हौसला था ही। लाठी पर पकड़ और मजबूत हो गई पगड़ी को टाइट कर लिया। भरपूर वार के लिए उन्होंने लाठी तान भी ली। तभी उनके दिमाग में कौंधा। अरे यह तो गांव के सीवान (सीमा) का पत्थर है। वे रुके सीवान के पत्थर को प्यार से सहलाया। और घर आ गए। सोचें। अगर वह पत्थर पर लाठी से वार करते तो क्या होता। उसका तो कुछ नहीं बिगड़ता। इनके साथ कुछ भी हो सकता।