इसके तुरंत बाद एक बेहद दिलचस्प और उद्देश्यपूर्ण सत्र लघुकथा पर संपन्न हुआ। 'संक्षिप्त ही सुंदर है' विषय से आयोजित इस सत्र की मॉडरेटर लघु कथाकार ज्योति जैन थीं। इस सत्र के भागीदार थे सूर्यकांत नागर, सतीश राठी, योगेन्द्रनाथ शुक्ल, सीमा व्यास, अंतरा करवड़े और चंद्रशेखर बिरथरे।