कबीर का सहज
कबीर का सहज भी इतना आसान नहीं, वो अनुशासन की बात करते हैं। वो अनुशासन सार्थक और नैतिक जीवन जीने का अनुशासन है। नमाज़ पढ़ने और कर्म कांड का जीवन नहीं है।
जब- तक हम व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से अपनी वासनाओं को नियंत्रित नहीं करेंगे, हम कबीर को अपना नहीं पाएंगे।
कबीर की राम की अवधारणा में वो राम नहीं जो अयोध्या का राजा है।
प्रेम किसी अमूर्त से नहीं किया जा सकता, उसके लिए कोई मूरत चाहिए। जैसे हम राष्ट्र को उसके ध्वज के माध्यम से प्रेम करते हैं।
कबीर का नाम
हममें से सभी के जीवन मे एक ऐसे नाम की जरूरत होती है जिसे हम नितांत आत्मीय क्षणों में याद कर सकें। राम का नाम कबीर के लिए कुछ ऐसा ही है।
हमारी सबसे बड़ी वासना अमरता की है, हम सब मरने के बाद याद किया जाना चाहते हैं। लेकिन कबीर ने सिर्फ़ काम किया, समाज को चैतन्य करने का प्रयास किया।
हम सबको कबीर के रास्ते को समझना होगा, यह बहुत गहन और गहरा काम होगा।