Premchand Quotes : मुंशी प्रेमचंद के अनमोल विचार बदल देंगे आपका जीवन

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Munshi Premchand Ke Vichar:  मुंशी प्रेमचंद/ धनपत राय प्रेमचंद हिन्दी के ख्यात साहित्यकार है। प्रेमचंद को बेहतरीन भारतीय लेखकों में से एक माना गया हैं। उन्होंने कई उपन्यास, कविताएं और लेख लिखे हैं।
यहां आपके लिए प्रस्तुत हैं मुंशी प्रेमचंद के 25 अनमोल विचार, जो आपके जीवन को बदल कर रख देंगे-
 
मुंशी प्रेमचंद के 25 अमूल्य वचन- 
 
1. आदमी का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार है।
 
2. स्वार्थ में मनुष्य बावला हो जाता है।
 
3. आत्मसम्मान की रक्षा हमारा सबसे पहला धर्म ओर अधिकार है।
 
4. निराशा संभव को अससंभव बना देती है।
 
5. सोने और खाने का नाम जिंदगी नहीं है, आगे बढ़ते रहने की लगन का नाम ही जिंदगी हैं।
 
6. आशा उत्साह की जननी है। आशा में तेज है, बल है, जीवन है। आशा ही संसार की संचालक शक्ति है।
 
7. आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपना घर याद आता है।
 
8. अन्याय होने पर चुप रहना, अन्याय करने के ही समान है।
 
9. दौलतमंद आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं, उसकी दौलत का सम्मान है।
 
10. जीवन का सुख दूसरों को सुखी करने में है, उनको लूटने में नहीं।
 
11. न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं। इन्हें वह जैसे चाहती है, नचाती है।
 
12. संतान वह सबसे कठिन परीक्षा है जो ईश्वर ने मनुष्य को परखने के लिए गढ़ी है।
 
13. आलोचना और दूसरों की बुराइयां करने में बहुत फर्क है। आलोचना करीब लाती है और बुराई दूर करती है।
 
14. क्रोध मौन सहन नहीं कर सकता हैं। मौन के आगे क्रोध की शक्ति असफल हो जाती है। 
 
15. प्रेम एक बीज है, जो एक बार जमकर फिर बड़ी मुश्किल से उखड़ता है।
 
16. कुल की प्रतिष्ठा भी सदव्यवहार और विनम्रता से होती है, हेकड़ी और रौब दिखाने से नहीं
 
17. कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरूरत पड़ती है।
 
18. कुल की प्रतिष्ठा भी विनम्रता और सद्‍व्यवहार से होती है, हेकड़ी और रुआब दिखाने से नहीं।
 
19. विलासियों द्वारा देश का उद्धार नहीं हो सकता। उसके लिए सच्चा त्यागी होना पड़ेगा।
 
20. घर सेवा की सीढ़ी का पहला डंडा है। इसे छोड़कर तुम ऊपर नहीं जा सकते।
 
21. जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है; उनका सुख छीनने में नहीं।
 
22. गलती करना उतना गलत नहीं, जितना उसे दोहराना है।
 
23. अधिकार में स्वयं एक आनंद है, जो उपयोगिता की परवाह नहीं करता।
 
24. धन खोकर अगर हम अपनी आत्मा को पा सकें तो यह कोई महंगा सौदा नहीं।
 
25. उपहास और विरोध तो किसी भी सुधारक के लिए पुरस्कार जैसे हैं।
 
संकलन- राजश्री कासलीवाल

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