प्रख्यात संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा का कार्डिएक अरेस्ट से 84 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें किडनी से संबंधित बीमारी भी थी। इस सदमे से संगीत जगत में शोक का माहौल है और उनके देश विदेश में चाहने वाले हृदय से दुखी हैं। उन्होंने कई फिल्मों में संगीत निर्देशन भी किया जिसमे सिलसिला, चांदनी, लम्हे इत्यादि शामिल है। उनकी और बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया की जोड़ी को शिव-हरि के नाम से जाना जाता है।
आइए जानते हैं पंडित शिवकुमार शर्मा जी के 7 जीवन सूत्र
1.सीखने का कभी अंत नहीं होता बशर्ते अगर आपकी नज़र सीखने के लिए तैयार हो
2.जितना भी दौर गुजरा है; हर दौर में, हर सिचुएशन में, हर शख्स से, चाहे वह कलाकार हो, श्रोता हो, या शिष्य हो, उनसे मैंने सदा सीखा है।
3.अगर आपकी सीखने की इच्छा जागृत रहे तो सड़क पर एक काम करने वाले मजदूर से, घर की सफाई करने वाले या खाना पकाने वाले भी हमें कुछ न कुछ सीखा सकते हैं।
4.आप सबसे ज़्यादा तब सीखते हैं जब आपके सामने failure आता है, success बड़ी खतरनाक चीज़ होती है।
5.तारीफ़ आदमी के सामने रूकावट पैदा करने का संकट है, हम बुराई से ज्यादा सीखते हैं। एक पुरानी कहावत है, वहां जाइए जहां आपकी बुराइयों का जिक्र किया जाता है और उस जगह आपको इसलिए जाना चाहिए क्योंकि वहां आपको आपकी वास्तविक स्थिति बताई जाती है।
6. जिसे तारीफ पचा पाना आ गया उसकी तरक्की का रास्ता कोई नहीं रोक सकता।
7. बड़े-बड़े लोग ऊंचाई पर पहुंच कर नीचे आ जाते हैं। पहाड़ों में हम देखते हैं कि जिसे ऊपर चढ़ना होता है वह झुककर (नम्र होकर) चलता है और जिसे नीचे आना होता है वह तनकर (अहंकार से) नीचे आता है।