दिशा प्रकाशन के पूर्व निदेशक और लघु कथा में एक बहुत ही जाना-माना और लोकप्रिय नाम मधुदीप गुप्ता का निधन हो गया।
उनकी फेसबुक पोस्ट से पता चलता है कि हाल ही में उनकी कोई मेजर सर्जरी हुई थी। जिसके बाद मंगलवार को उनके निधन का समाचार आ गया।
उनके निधन का समाचार आते ही सोशल मीडिया फेसबुक में उन्हें श्रद्धाजंलि देने वाले उनके प्रशंसकों का तांता लग गया।
मिन्नी मिश्रा ने लिखा, बहुत पहले लघुकथा सम्मेलन में आदरणीय मधुदीप गुप्ता सर से मेरी मुलाकात हुई थी, उनसे बातें हुईं। लघुकथा विधा के ऊपर मैसेंजर और फोन से भी कई बार उनसे मुझे मार्गदर्शन मिला! विश्वास ही नहीं होता है! उनकी कर्मठता और लग्न को मेरा शत-शत नमन।
ज्योत्सना कपिल ने लिखा, लघुकथा के एक मजबूत स्तम्भ आदरणीय मधुदीप गुप्ता जी का यूं ढह जाना, मन में कहीं न कहीं यह आशा थी, कि आपके स्वस्थ होने का समाचार मिलेगा। मन बेहद व्यथित है। आपसे मिलने की इच्छा मन में ही रह गई। आपने कहा था कि मायके में बेटियों का सदैव स्वागत है। कैसे श्रद्धाजंलि लिखूँ!
डॉ गोपाल निर्दोष ने लिखा, ओह! अत्यंत दुःखद! एक चिरप्रेमी मधुदीप गुप्ता सर जिन्होंने चिर विरह के बावजूद अपने प्रोफाइल को कभी एडिट नहीं किया और उसमें स्वयं को सदा मैरिड ही लिख रखा था। आपका इस तरह से अविश्वसनीय रूप से चले जाना मुझे मुझे रुला गया सर। विनम्र श्रद्धांजलि।
शशि बंसल गोयल ने लिखा, निःशब्द हूँ, बहुत दुःखी हूँ। कभी मिलने का सौभाग्य ही प्राप्त न हो पाया आपसे। बस फ़ोन पर ही संवाद बना रहा। आपकी आत्मीयता सदा याद रहेगी। लघुकथा के क्षेत्र में आप इतना अधिक और अद्भुत योगदान-मार्गदर्शन लघुकथा जगत को दे गए हैं कि वह अपने आप में कुबेर का खज़ाना है। आपका वो हास्य- परिहास जिसे बेटी कहते हुए आपने कहा था, सदा याद आएगा। आप जिस दुनिया में जाएं खुश रहें अंकल, अपना आशीर्वाद देते रहें।