फिल्मी दुनिया की सेलेब्रिटी जोड़ी सैफ अली खान और करीना कपूर के घर बीस दिसंबर को जन्म लेने वाले नवजात बच्चे का नाम 'तैमूर अली खान पटौदी' रखा गया है। यह एक नितांत निजी मामला है कि कोई भी माता-पिता अपने बच्चों का नामकरण क्या करें या क्या करना चाहते हैं।
नामकरण का मामला व्यक्तिगत अधिकार क्षेत्र में आता है और इस क्षेत्र में किसी भी दखल की कोई गुंजाईश भी नहीं बनती है। किंतु इस तथ्य को भूला देना जरा भी भलमनसाहत नहीं कही जा सकती, कि 'तैमूर' सिर्फ नाम ही नहीं एक प्रतीक भी है। जो भी लोग 'तैमूर' को लेकर उक्त परिवार विरुद्ध आक्रमणकारी हो गए हैं, जाहिर है कि वे नाम के अर्थ-आशय पर कम और प्रतीक पर ज्यादा विश्वास करते हैं। इतिहास बताता है कि तैमूरलंग एक हृदयहीन, बर्बर और लूटेरा शख्स था। यह समूचा प्रकरण इस तैमूर से उस तैमूर तक जाता है।
'तैमूर' एक मंगोलियन शब्द है, जिसका अर्थ खुद्दारी से जुड़ा है। तैमूर एक ऐसे व्यक्ति को कहा जा सकता है, जो मजबूत हौंसलों वाला है, जिसे तोड़ा न जा सके। अरबी में इसका अर्थ होता है लोहा या फौलाद जैसे मजबूत इरादों वाला। क्या एक नवजात बच्चे को इन तमाम चीजों से जोड़कर देखा जा सकता है? क्या एक नवजात बच्चे का यह नाम उन विशेषणों से नवाजा जा सकता है? अन्यथा नहीं है कि फिल्मी लोगों से जुड़ी बातों में लोगों की जबर्दस्त दिलचस्पी देखी जाती रही है| फिलवक्त अगर वह कोई बात उनके निजी जीवन से जुड़ी हो तो आतुरता सीधे-सीधे अनुकरण तक पहुंच जाती है, किंतु यही भावुक आतुरता कभी-कभी अभद्रता तक जा पहुंचना भी कोई अस्वाभाविक नहीं रह जाती है।
आतुरता का अभद्रता में बदल जाने से दूसरा आशय यही निकलता है कि निजता की लक्ष्मण-रेखा का उल्लंघन किया जा रहा है। निजी तौर पर की जाने वाली छींटाकशी का कृत्य संस्कारहीनता में आता है। भारतीय समाज का इतिहास एक संस्कारवान समाज का इतिहास माना जाता है। तब फिर 'तैमूर' नामकरण को लेकर यह बेहूदा सांप्रदायिकता क्यों थूकी जा रही है। क्या धर्मांधता और वत्सलता में अंतर नहीं किया जाना चाहिए?
'तैमूर' के उल्लेखित अर्थों को देखा जाए तो उस लिहाज से यह कोई बुरा नाम नहीं है, लेकिन अगर उसे उपलब्ध संदर्भों में देखा जाए तो भारतीय समाज की आपत्ति भी असंगत नहीं है, क्योंकि यह भारत के साथ खौफनाक तौर पर जुड़े मध्ययुगीन शासक तैमूरलंग का नाम भी है, जिसने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के दौरान सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि लाखों मुसलमानों की भी हत्याएं की थीं। भारतीयों का नरसंहार करने वाला तैमूरलंग भले ही 'शेर दिल कलेजे वाला' रहा हो अथवा ‘चट्टानी हृदयवाला’, आखिरकार था तो एक बर्बर आक्रमणकारी ही, जो उज्बेकिस्तान से आया था और जिसने पूरे पंद्रह दिनों तक दिल्ली, मेरठ, हरिद्वार और इसके आस पास के शहरों को बेहद ही निर्ममता से लूटा था। इतना ही नहीं बल्कि बेपनाह दौलत के साथ जाते-जाते वह बंदी बनाई गईं औरतों सहित शिल्पकारों को भी उज्बेकिस्तान ले गया था। भारत पर आक्रमण करने से पहले तैमूरलंग वर्ष 1369 में समरकंद का शासक बन गया था। इस तरह हम देखते हैं कि तैमूर नाम के साथ हिंदुस्तानियों की बुरी स्मृतियां ही जुड़ी हैं। क्या ताजमहल तैमूर ने बनवाया था जो हम उसे महान मान लें?
इस सबके बावज़ूद अगर सैफ अली खान और करीना कपूर नाम के दंपत्ति अपने नवजात बेटे के लिए 'तैमूर' नाम का चयन सर्वाधिक 'उचित' समझते हैं, तो यह उनकी निजी समझ है और हमें उनकी इस समझ को 'नासमझ' समझने का कोई अधिकार नहीं है। नवजात का नाम चुनना उनका विशेषधिकार है, जिसका पर्याप्त सम्मान किया जाना चाहिए, किंतु याद रखें कि किसी की भावनाएं भी आहत न हों।
हो सकता है कि अपने नवजात के नामकरण-संस्कार में सैफ अली खान और करीना कपूर परिवार ने कुछ चतुराईपूर्ण कार्रवाई को अंजाम देने का दुःसाहस दिखाया हो, किंतु उनके इस दुःसाहस को सांप्रदायिकता से जोड़कर देखा जाना एहसास-ए-कमतरी ही कहा जाएगा। यहां यह याद रखा जाना कुछ जरूरी हो जाता है कि सैफ अली खान ने अपनी बहन की शादी एक कश्मीरी ब्राह्मण से करवाई थी। कहने वाले कह सकते हैं कि जरूर कोई मजबूरी रही होगी।
दक्षिण भारत में एक नेता-पुत्र का नाम 'स्टॉलिन' बेहद लोकप्रिय है। कुछ लोगों को 'हिटलर' नाम ने भी अपने मोहपाश में बांध रखा है और वे इस नाम को राष्ट्रप्रेम से जोड़कर अपने पुत्रों का नाम 'हिटलर' रखते रहे हैं| इस संदर्भ में उनका पुख्ता तर्क यही रहता आया है कि ब्रिटेन ने भारत को दो सौ बरस तक अपनी गुलामी की जंजीरों में जकड़े रखा था, जबकि हिटलर तो खुले तौर पर ब्रिटेन को अपना शत्रु-देश मानता था। मतलब फिर वही कि शत्रु का शत्रु हमारा मित्र हो गया, तो क्या मामला सिर्फ सीधे-सरल नवजात तैमूर का है?
बहुत स्वाभाविक है कि इस प्रसंग में किसी को भी शेक्सपीयर का स्मरण हो आएगा, जिसने किसी अन्य अवसर और किसी अन्य संदर्भ यह कहा था कि नाम में क्या रखा है| गुलाब को गुलाब के नाम से पुकारें या किसी और नाम से, इससे खुशबू ही आएगी, किंतु अपनी संतान का नामकरण एक बेहद संवेदनशील मामला है| बहुत संभव है कि 'तैमूर' नामक यह बच्चा कालांतर में वयस्क होने पर इस नाम से किंचित शर्मिंदगी महसूस करने लगे और आत्म-पश्चाताप की अग्नि उसे ले डूबे| यह भी संभव है कि भविष्य की अतिवादी शासन-व्यवस्था इस बालक को दंडित करते हुए कोई नया नाम देने का सर्वसम्मत आदेश ही जारी करदे|
धर्मों की प्रार्थनाएं क्या एक ऐसा स्वांग नहीं हैं, जो दूसरों के लिए पर्याप्त पश्चाताप का कारण बन जाती हैं? तैमूर का नन्हा दिल क्या जाने कि बेदर्दी तैमूरलंग ने कितने मासूम दिलों का सर्वनाश किया होगा? अभी तो वह बच्चा है, जो वाकई बेहद सच्चा है। वह तैमूर न होता और अगर तिमिर होता तो क्या होता? मामला कुल जमा पांच हजार करोड़ की धनसंपदा के वारिस का है। करीना कपूर का यह पहला बच्चा है, जबकि सैफ अली खान के उनकी पूर्व पत्नी अमृता सिंह से दो बच्चे सारा और इब्राहिम भी हैं। अगर मामला प्रॉपर्टी का है तो सवाल यही है कि तैमूर के लिए प्रॉपर्टी है या फिर प्रॉपर्टी के लिए तैमूर है? क्या वे दिन हवा हुए जब कहा जाता था कि बच्चे ही प्रॉपर्टी हैं। जाहिर है कि 'तैमूर' नाम सिर्फ बच्चा नहीं है।