आरंभ में विभा भटोरे के संयोजन में तैयार समूह द्वारा सरस्वती वंदना अभिनीत की गई। अतिथि परिचय स्मृति आदित्य ने दिया। सुषमा शर्मा एवं समूह द्वारा वेद ऋचाएं गाई गई। शारदा मंडलोई, करुणा प्रजापति, निरुपमा नागर, विभा जैन ओजस ने हास्य रचनाएं सुनाई। यशोधरा भटनागर, भावना दामले, विद्यावती पाराशर ने लघुकथा पढ़ी। इस अवसर पर नए सदस्यों का मनोगत भी रखा गया जिसमें वाणी जोशी, रश्मि चौधरी और निरुपमा सिन्हा वर्मा ने अपने अनुभव साझा किए।
इस आयोजन की थीम थी 'आशा की भोर में, उमंगों की डोर से' इस थीम को प्रस्तुत करते भाग 'छोटी सी आशा' में महिमा शुक्ला, अवंती श्रीवास्तव और उषा गुप्ता सुनीता राठौर ने प्रेरक रचनाएं सुनाई। तत्पश्चात क्षेत्रीय भाषा के लोकगीत सुमधुर स्वर में गाए गए जिसमें प्रमुख रूपसे अमरवीर चढ्ढा, विभा व्यास, दामिनी ठाकुर, गायत्री मेहता, पुष्पा दसौंधी आशा शर्मा शामिल रहीं। शांता पारिख ने मूक अभिनय प्रस्तुत किया।
मंच की सबसे बुजुर्ग सद्स्य माधवी तारे ने स्वरचित देशभक्ति और नर्मदा रचना सुनाई। कविता अर्गल ने अंत में गरबा समूह नृत्य से सबका मन मोह लिया। अतिथि का स्वागत उपाध्यक्ष द्वय ज्योति जैन और वैजयंती दाते ने किया। स्मृति चिन्ह सहसचिव अंजना चक्रपाणि मिश्रा ने दिया। इस समूचे आयोजन का संयोजन स्मृति आदित्य तथा सूत्र संचालन डॉ. प्रतिभा जैन और दिव्या मंडलोई ने किया और आभार माना सपना सीपी साहू ने।