बगिया में खुशबू की खबरें

निर्मल जौहरी
NDND
आते हैं मेरी खिड़की से रोज हवा के झोंके

कुछ देते कुछ ले जाते हैं बिना बताए झोंके

मौसम और मुहल्ले की कितनी बातें कह जाते

बंद हुई खिड़की तो थपथप करते नहीं अघाते

खिले हुए बगिया में खुशबू की खबरें लाते

चौखट पर रुक कर कुछ कहते फिर उड़ जाते

सूखे पत्तों पर लिखे संदेसे ला कर कभी थमाते

कभी उड़ा ले जाते आँसू कभी हँसी ले आते

वर्षा ऋतु में बादल के वाहन बन जाते

गर्मी के मौसम में पाहुन सा आदर पाते

साभार : शुभ तारिका