माँ के चरणों में जन्नत है

शोभा रानी तिवारी
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माँ से बड़ा न कोई जग में

न पैसा ना दाम

माँ शब्द में समाया है, यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड।

माँ के चरणों में जन्नत है,

और आँखों में प्यार है

ममता है उनके आँचल में

और आँगन में बहार है।

फूलों का समर्पण उनमें

त्याग की ऊँचाई है,

उनका हृदय विशाल सागर सा

विचारों की गहराई है।

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माँ परिवार के नींव का पत्थर

वही जगत की धुरी है।

माँ के बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है।

स्नेह जल से बगिया को सींच

चहुँ दिशा में खुशबू फैलाती है,

पथ प्रदर्शक बनकर हरदम

प्रगति का मार्ग दिखलाती है।

माँ ही मेरी, पूजा अर्चना

वे ही मेरी शक्ति हैं,

वे ही मेरी आराधना

वे ही मेरी भक्ति हैं।

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एक दो तीन नहीं

माँ असंख्य गुणों की खान हैं।

इसलिए सारी दुनिया में

माँ सबसे महान हैं।

आशीष का हाथ सदा रहे सिर पर

यही हमारी आशा है।

हर जन्म में तुम्हें ही पाएँ

यही अभिलाषा है।

साभार : लेखिका 08