वहाँ एक फूल खिला हुआ है अकेलाकोई उसे छू भी नहीं रहा हैकिसी सुबह शाम में वह झर जाएगालेकिन देखो, वह खिला हुआ हैशताब्दियों से बारिश, मिट्टी और यातनाओं को जज्ब करते हुएएक पत्थर भी वहाँ किसी की प्रतीक्षा में है।आसपास की हर चीज इशारा करती हैतालाब के किनारे अँधेरी झाड़ियों में चमकते हैं जुगनूदुर्दिनों के किनारे शब्दमुझे प्यास लग आई है और यह सपना नहीं हैजैसे पेड़ की यह छाँह मंजिल नहीं यह समाज जो आखिर एक दिन आज़ाद होगाउसकी संभावना मरते हुए आदमी की आँखों में हैअसफलता मृत्यु नहीं हैयह जीवन है, धोखेबाज पर भी मुझे विश्वास करना होगानिराशाएँ अपनी गतिशीलता में आशाएँ हैं
'मैं रोज परास्त होता हूँ' -
इस बात के कम से कम बीस अर्थ हैं
यों भी एक-दो अर्थ देकर
टिप्पणीकार काफी कुछ नुकसान पहुँचा चुके हैं
गणनाएँ असंख्य को संख्या में न्यून करती चली जाती हैं
सतह पर जो चमकता है वह परावर्तन है
उसके नीचे कितना कुछ है अपार
शांत, चपल और भविष्य से लबालब भरा हुआ।
साभार :पहल