अर्थ अनेक हैं दिल्ली विजय के...

पंजाब ने दिया धोखा, ऊंचे अरमानों की उछाल को। 
तो ई.वी.एम. के सिर फोड़ा, हार के सारे मलाल को। 
मोदी को दी गई हजारों गालियां भी काम न आईं कहीं,
अब दिल्ली भी दे गई दगा, उस बेचारे केजरीवाल को।।
 
एल.जी. खराब, मोदी खराब, दिल्ली के पुलिस वाले सारे खराब। 
मानहानि वाला जेटली, विरोधी स्वर वाला अन्ना हजारे खराब। 
हर मोर्चे पर सब उलझते रहे बेहआई से,
केजरी जैसे लोग, अपनी हेकड़ी से ही हारे, जनाब!।।
 
'आप' के बड़बोलेपन से, अपने मुंह की खाई अपने आप। 
'आप' को छोड़ गई गलतफहमियों की परछाई अपने आप। 
'आप' के पापों के प्रवाह से गंदली हो गई थी यमुना,
इस जनादेश से यमुना की भी हो गई सफाई अपने आप।।
 
निश्चय ही इस विजय के पीछे लगन व मेहनत भारी है। 
तय हुआ की यूपी की विजय यात्रा दिल्ली तक भी जारी है।
अब मोदी और शाह की साख लगी है दांव पर,
मतदाता के विश्वास पर खरा उतरने की बड़ी जिम्मेदारी है।।
 
राजधानी दिल्ली अब देश का सिरमौर हो। 
स्वच्छता व चुस्ती का परिदृश्य चारों ओर हो।  
योगी जैसी सरकारों से लापरवाहियों पर लगे लगाम, 
निष्कंटक इस जनादेश में प्रारंभ सुशासन का नया दौर हो।। 
 
और अंत में....      
ई.वी.एम. तो है जैसे एक डायन कटखनी। 
चबा गई 'आप' को, दे गई केजरी को पटखनी। 
यह मशीन नहीं किसी रोबोट की सगी है। 
किसे जिताना है, किसे हराना है, पहचानने लगी है।।

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