कविता : गंगा जल अमृत बन जाएगा

नदियों के जल जब निर्मल होंगे, 
गंगा जल अमृत बन जाएगा। 
 

 
जन-जन में जब आस जागेगी, 
गंदगी न कोई फैलाएगा। 
 
मुर्दाघाट जब अलग बनेगा, 
कोई लाश नहीं दफनाएगा। 
 
स्नान हेतु लोग आया करेंगे, 
कर के स्नान चले जाएंगे।
 
फिर दूषित न हो पाएगा, 
सब जल में दीप जलाएंगे। 
 
हर-हर गंगा लोग करेंगे, 
फिर वह मौसम आएगा। 
 

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