'हिन्दू' और 'हिन्दुत्व' उच्चतम आदर्शों के बोधशब्द।
'मंदिर दर्शन' व 'यज्ञोपवीत' युगीन परम्परा के अलंकरण।
हाय! इन बाजारू लोगों ने इन्हें,
बाजारू चर्चा तक पहुंचा दिया।
विवेकशील, आस्थावानों के मनों को,
युगीन आस्थाओं की ये बेझिझक हत्या कर सकते हैं।।
राजनीति में अल्प लाभ पाने को, इनके लिए सब कुछ गौण है।
अशोभन जुमले सुन-सुनकर जन-मन
कितना उचाट है, ऊब रहा है।
गंगा-सा पवित्र प्रजातंत्र, गंदे पानी में डूब रहा है।।
कितनी बेशर्म-सी होड़ लगी है।।
...देखकर कितना क्षोभ होता है!
ओखी तूफान से भी अधिक देश का नुकसान कर जाएगा यह चुनाव!