गुरु पूर्णिमा पर विशेष : गुरु पर दोहे...
गुरु अमृत है जगत में, बाकी सब विषबेल,
सतगुरु संत अनंत हैं, प्रभु से कर दें मेल।
गीली मिट्टी अनगढ़ी, हमको गुरुवर जान,
ज्ञान प्रकाशित कीजिए, आप समर्थ बलवान।
गुरु बिन ज्ञान न होत है, गुरु बिन दिशा अजान,
गुरु बिन इन्द्रिय न सधें, गुरु बिन बढ़े न शान।
गुरु मन में बैठत सदा, गुरु है भ्रम का काल,
गुरु अवगुण को मेटता, मिटें सभी भ्रमजाल।
शिष्य वही जो सीख ले, गुरु का ज्ञान अगाध,
भक्तिभाव मन में रखे, चलता चले अबाध।
गुरु ग्रंथन का सार है, गुरु है प्रभु का नाम,
गुरु अध्यात्म की ज्योति है, गुरु हैं चारों धाम।
अंधकार से खींचकर, मन में भरे प्रकाश,
ज्यों मैली चुनरी धुले, सोहत तन के पास।
गुरु की कृपा हो शिष्य पर, पूरन हों सब काम,
गुरु की सेवा करत ही, मिले ब्रह्म का धाम।
गुरु अनंत तक जानिए, गुरु की ओर न छोर,
गुरु प्रकाश का पुंज है, निशा बाद का भोर।