मुट्ठी भर राख में सिमट जाएगी
बातें तेरी याद जमीन पर आएगी
परियों की कहानी सुनाई जाएगी
खूब कड़क बोल गूंजा करते थे
खूब दुंदुभि तेरी बजा करती थी
मान-सम्मान भी पाया तूने बहुत
रूह ने देह में घुस रूह को लुभाया
संग संग प्रेम सरगम गुनगुनाया
टूटते दिल को बसंत से महकाया