यों ही लुटता रहेगा देश यह...

हम तो पूर्ण लगन, उत्साह, समर्पण से 
विकास का परचम लहराएंगे। 
पर ये माल्या-नीरव देश को 
नीचे से कुतर कर खा जाएंगे।।
 
फिर जब तक हम सख्त कार्यवाही के 
उहापोह में पड़े होंगे। 
ये कानूनी दरारों से निकल, 
कहीं दूर जा खड़े होंगे।।
 
हम खीझेंगे, परेशान होंगे 
मन मसोसते रह जाएंगे। 
पर इस शिथिल कानूनी व्यवस्था में 
इनका कुछ भी न बिगाड़ पाएंगे।।
 
सुनी है हमने अंडरवर्ल्ड के कारनामों की 
सनसनीखेज कहानियां। 
पर देश को क्या इतना झकझोर पाईं
उनकी काली कारगुजारियां।।
 
ये तो सूरज के उजाले में कार्यरत 
निर्लज्ज/ निर्भीक सफेदपोश लुटेरे हैं। 
जिनके आलीशान मल्टियों में 
या गार्डेड बंगलों में डेरे हैं।।
 
कितने बेशर्म, बेधड़क, ढीठ, निडर 
हैं इनके ये कारनामे। 
जाने प्रशासन व राजनीति में कितने 
काले हाथ हैं इनकी जूतियां थामे।।
 
हमारी तो नियति है बेबस देखते रहना,
और अकेले में रो लेना। 
बहानों, समझाइशों को अवाक सुनते रहना,
और, अगले किसी हादसे के लिए 
फिर से तैयार हो लेना।।

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