नागपुर। अपनी मेहनत और लगन से सफलता पाने वाले 25 वर्षीय अभिषेक थावरे, देश के पहले ऐसे तीरंदाज हैं, जो हाथों से नहीं बल्कि दांतों से तीर चलाते हैं। शरीर से दिव्यांग अभिषेक को सफलता बड़ी मुश्किलों के बाद मिली है और इसके पाने के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया।
अभिषेक स्कूल में 5 किलोमीटर, 10 किलोमीटर की रेस में कई मेडल अपने नाम कर चुके थे। जीवन में अच्छा कर रहे अभिषेक की किस्मत ने 26 अक्टूबर 2010 में उन्हें फिर धोखा दिया और घुटने की एक गंभीर चोट ने अभिषेक के जीवन में फिर ठहराव पैदा कर दिया। दौड़ सकने में अक्षम हो चुके अभिषेक की समझ में नहीं आया कि वे अब और कौन से खेल में अपना हाथ आजमाएं।
लगातार 2 साल तक परेशान रहे और लगभग निराश हो चुके अभिषेक को उनके रिश्त के एक भाई संदीप गवई ने उन्हें नई शुरुआत की प्रेरणा दी। वे खुद तीरंदाजी करते हैं लेकिन पोलियो के कारण अभिषेक के दाएं हाथ और कंधे में इतनी ताकत नहीं थी कि वे उससे तीर खींच पाएं। इस समस्या से उबरने के लिए संदीप ने उन्हें अपने दांतों से तीर खींचने की सलाह दी। काफी अभ्यास के बाद वे भारत में ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति बन गए।