भारतीय दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति कहते हैं- किसी भी चीज की गहरे तक समझ और चीज की त्वरित समझ। यहां तक कि समझने के लिए ध्यान पूर्वक सुनना। कई मर्तबा आप सिर्फ देखते हैं, मगर सुनते नहीं। कुछ सीखने के बाद आप वैसा करने लगते हैं, इसका मतलब हुआ जब सीखने की क्रिया में जानकारी और ज्ञान का संग्रहण होता है, तो आप ज्ञान के मुताबिक काम करने लगते हैं, चाहे वह काम कुशलता से करें या अकुशलता से।
इस तरह ज्ञान आपका स्वामी हो गया या ज्ञान आपका शासक हो गया। जहां भी सत्ता या शासक हो जाता है, वहां दमन भी होता है। इस प्रक्रिया से आप कहीं नहीं पहुंचते, यह तो एक यांत्रिक क्रिया है। उक्त दोनों प्रक्रिया में आप यांत्रिक गति ही देखते हैं। अगर आप सचमुच उस यांत्रिक गति को पहचान लेते हैं, तो इसका मतलब उस गति में आपकी जो दृष्टि है, वही है अंतर्दृष्टी।