माली ने व्यंग करते हुए कहा- जंगली फूल और यह खरपतवार तो शादीशुदा होने की तरह है। जहाँ बहुत-सी बातें अच्छी होती हैं वहाँ कुछ अनचाही दिक्कतें और तकलीफें भी पैदा हो जाती हैं। मेरी मानो नसरूद्दीन तो तुम इन्हें नजरंदाज करना सीखो। इन फूलों की तुमने कोई ख्वाहिश तो नहीं की थी, लेकिन अब वे तुम्हारे बगीचे का हिस्सा बन गए हैं।