संपूर्ण रामायण में राम, लक्ष्मण, सीता और हनुमान के त्याग का वर्णन मिलता है लेकिन उर्मिला के लिए बहुत कम पंक्तियाँ रची गई है जबकि उसका त्याग भी विलक्षण है। पति लक्ष्मण भाई राम के साथ वनवास चले गए तब 14 वर्ष उसने विरह की अग्नि में जलकर बिताए। गुप्त जी ने उस दर्द को महसूस करते हुए अपनी कल्पनाशीलता से यह मार्मिक रचना लिखी।