बहन, बेटी, पत्नी, प्रेमिका
इनका स्वरूप भी
कितना विस्तृत
प्रणय स्वरूप, उसकी जड़ों को
पृथ्वी (स्त्री) तू धन्य है
क्योंकि ये शक्ति आकाश (पुरुष)
पर भी नहीं है
निर्मल, कोमल, अप्रतिबंधित प्रेम
उसका (वात्सल्य, श्रृंगार, मित्रता, काम, वफा, प्रीति)
ईश्वरीय दर्शन
क्योंकि मैं भी
स्नेह से बंधा, प्रेम को समेटे
सुख की नींद सोना चाहता हूं।