24 जनवरी, राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कविता : मुड़कर नहीं देखती हैं भारत की बेटियां।
सबसे महान होती हैं भारत की बेटियां,
हम सबकी शान होती हैं भारत की बेटियां।
जिस दिन से घर में आती हैं बेटियां,
माता-पिता की इज्जत बन जाती हैं बेटियां।
भारत के विकास की डोर थामे हैं बेटियां,
भारत को बुलंदियों पर पहुंचातीं बेटियां।
सीता, सावित्री, दुर्गा की प्रतिरूप हैं बेटियां,
लक्ष्मी, सरस्वती, राधा का रूप हैं बेटियां।
हर युग में भारत को नई दिशा देती हैं बेटियां,
त्याग और बलिदान से भरपूर हैं बेटियां।
रण में चंडी दुर्गा, लक्ष्मी, अहिल्या होती हैं बेटियां,
आसमान में कल्पना, सुनीता-सी तैरती हैं बेटियां।
खेल में उषा, मल्लेश्वरी, सिन्धु-सी मचलती हैं बेटियां,
बछेंद्री, सानिया, मिताली-सी उछलती हैं बेटियां।
विजया, इन्द्रा, सुषमा-सी चमकती हैं बेटियां,
प्रशासन में किरण बेदी-सी कड़कती हैं बेटियां।
मैत्रेयी, गार्गी-सी विद्वान होती हैं बेटियां,
महादेवी, अमृता-सी साहित्यिक होती हैं बेटियां।
हर क्षेत्र में लक्ष्य को भेदती हैं बेटियां,
जीवन की चुनौती को जीतती हैं बेटियां।
भारत का सम्मान होती हैं बेटियां,
मां-बाप का अभिमान होती हैं बेटियां।
मरने से नहीं डरती हैं भारत की बेटियां,
पीछे मुड़कर नहीं देखती हैं भारत की बेटियां।