नए साल का आग़ाज़,शायराना हो आपका अंदाज, खूबसूरत शायरी

आज इक और बरस बीत गया उस के बग़ैर 
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे 
 
इक साल गया इक साल नया है आने को 
पर वक़्त का अब भी होश नहीं दीवाने को 
 
देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़ 
इक बरहमन(ब्राह्मण) ने कहा है कि ये साल अच्छा है 
 
न शब ओ रोज़ ही बदले हैं न हाल अच्छा है 
किस बरहमन (ब्राह्मण) ने कहा था कि ये साल अच्छा है 
 
जिस बरहमन (ब्राह्मण) ने कहा है कि ये साल अच्छा है 
उस को दफ़नाओ मिरे हाथ की रेखाओं में 
 
किसी को साल-ए-नौ की क्या मुबारकबाद दी जाए 
कैलन्डर के बदलने से मुक़द्दर कब बदलता है 
 
तू नया है तो दिखा सुब्ह नई शाम नई 
वर्ना इन आंखों ने देखे हैं नए साल कई 
 
इक अजनबी के हाथ में दे कर हमारा हाथ 
लो साथ छोड़ने लगा आख़िर ये साल भी 
  
इक पल का क़ुर्ब एक बरस का फिर इंतिज़ार 
आई है जनवरी तो दिसंबर चला गया 
 
साल गुज़र जाता है सारा 
और कैलेंडर रह जाता है 
 
नया साल दीवार पर टांग दे 
पुराने बरस का कैलेंडर गिरा 
 
एक लम्हा लौट कर आया नहीं 
ये बरस भी राएगां रुख़्सत हुआ 
 
पिछ्ला बरस तो ख़ून रुला कर गुज़र गया 
क्या गुल खिलाएगा ये नया साल दोस्तों 

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