×
SEARCH
Hindi
English
தமிழ்
मराठी
తెలుగు
മലയാളം
ಕನ್ನಡ
ગુજરાતી
चैंपियंस ट्रॉफी
समाचार
मुख्य ख़बरें
राष्ट्रीय
अंतरराष्ट्रीय
प्रादेशिक
मध्यप्रदेश
छत्तीसगढ़
गुजरात
महाराष्ट्र
राजस्थान
उत्तर प्रदेश
क्राइम
फैक्ट चेक
ऑटो मोबाइल
व्यापार
मोबाइल मेनिया
बॉलीवुड
बॉलीवुड न्यूज़
हॉट शॉट
मूवी रिव्यू
वेब स्टोरी
पर्यटन
आने वाली फिल्म
खुल जा सिम सिम
बॉलीवुड फोकस
आलेख
सलमान खान
सनी लियोन
टीवी
मुलाकात
धर्म-संसार
एकादशी
श्री कृष्णा
रामायण
महाभारत
व्रत-त्योहार
धर्म-दर्शन
शिरडी साईं बाबा
श्रीरामचरितमानस
आलेख
सनातन धर्म
लाइफ स्टाइल
वीमेन कॉर्नर
सेहत
योग
NRI
मोटिवेशनल
रेसिपी
नन्ही दुनिया
पर्यटन
रोमांस
साहित्य
क्रिकेट
अन्य खेल
खेल-संसार
इंदौर
ज्योतिष 2025
ज्योतिष
दैनिक राशिफल
रामशलाका
राशियां
आज का जन्मदिन
आज का मुहूर्त
लाल किताब
वास्तु-फेंगशुई
टैरो भविष्यवाणी
चौघड़िया
धर्म संग्रह
श्रीरामचरितमानस
मध्यप्रदेश
काम की बात
श्रीराम शलाका
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
चुटकुले
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
चैंपियंस ट्रॉफी
समाचार
बॉलीवुड
धर्म-संसार
लाइफ स्टाइल
क्रिकेट
इंदौर
ज्योतिष 2025
ज्योतिष
धर्म संग्रह
श्रीरामचरितमानस
मध्यप्रदेश
काम की बात
श्रीराम शलाका
एक्सप्लेनर
क्राइम
रामायण
महाभारत
फनी जोक्स
वीडियो
फोटो गैलरी
अन्य
पर्यावरण पर हिन्दी कविता : पेड़ की पुकार...
शम्भू नाथ
रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।
रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं,
कुल्हाड़ी अब मत मारो।
आसमां के बादल से पूछो,
मुझको कैसे पाला है।
हर मौसम में सींचा हमको,
मिट्टी-करकट झाड़ा है।
उन मंद हवाओं से पूछो,
जो झूला हमें झुलाया है।
पल-पल मेरा ख्याल रखा है,
अंकुर तभी उगाया है।
तुम सूखे इस उपवन में,
पेड़ों का एक बाग लगा लो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।
इस धरा की सुंदर छाया,
हम पेड़ों से बनी हुई है।
मधुर-मधुर ये मंद हवाएं,
अमृत बन के चली हुई हैं।
हमीं से नाता है जीवों का,
जो धरा पर आएंगे।
हमीं से रिश्ता है जन-जन का,
जो इस धरा से जाएंगे।
शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं,
ठूंठ आंख में अब मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।
हमीं कराते सब प्राणी को,
अमृत का रसपान।
हमीं से बनती कितनी औषधि।
नई पनपती जान।
कितने फल-फूल हम देते,
फिर भी अनजान बने हो।
लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो,
उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।
हमीं से सुंदर जीवन मिलता,
बुरी नजर मुझपे मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।
अगर जमीं पर नहीं रहे हम,
जीना दूभर हो जाएगा।
त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी,
हाहाकार भी मच जाएगा।
तब पछताओगे तुम बंदे,
हमने इन्हें बिगाड़ा है।
हमीं से घर-घर सब मिलता है,
जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।
गली-गली में पेड़ लगाओ,
हर प्राणी में आस जगा दो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।
वेबदुनिया पर पढ़ें
समाचार
बॉलीवुड
ज्योतिष
लाइफ स्टाइल
धर्म-संसार
महाभारत के किस्से
रामायण की कहानियां
रोचक और रोमांचक
जरुर पढ़ें
क्या नवजात को पीलिया होने पर धूप में लिटाना है सही, जानिए ये फैक्ट है या मिथ
ऑफिस जाने से पहले इन 5 मिनट की स्ट्रेचिंग से मिलेगी दिन भर के लिए भरपूर एनर्जी, आप भी करके देखिये
2025 में क्या है विमेंस डे की थीम? जानिए 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है ये दिन?
क्या डायबिटीज के पेशेंट खा सकते हैं केला, ये पढ़े बिना आपकी जानकारी है अधूरी
जान लीजिए बीमार बच्चों को खिलाने-पिलाने से जुड़े मिथक की सच्चाई
नवीनतम
रात को सोने से पहले खाएं ये हरा फल, सेहत को मिलेंगे चौकाने वाले फायदे
ये तीन ड्राई फ्रूट्स बनाएंगे आपकी इम्यूनिटी को हर मौसम में मजबूत, पूरे साल करना चाहिए सेवन
फिटनेस गोल्स को पूरा करने में बार-बार हो रहे हैं फेल? इन टिप्स से पाएं सफलता
इस सुन्दर संदेशों से अपने जीवन की खास महिलाओं का दिन बनाएं और भी खास, विशेष अंदाज में कहें हेप्पी विमन्स डे
महिला दिवस पर दिखेंगीं सबसे अलग और फ्रेश, लगाएं मसूर दाल से बना ये खास फेस पैक
ऐप में देखें
x