मां पर कविता : रहोगी अनमोल सदा

पुष्पा पी. परजिया
 
मां तेरी ममतामयी अंखियां याद आती हैं 
आते ही तेरी याद,असुंवन जल वर्षा बरसाती है
तेरी स्नेह सरिता ने समझाया जीवन राग मुझे 
दुनिया की हर जंग को जितना सिखाया तूने मुझे  
जब-जब हारी हिम्मत तुझको बस याद किया मैंने 
लगा मानो सहलाया मुझे तूने और आगे बढ़ा दिया तूने  


 
उतार नहीं सकती ऋण तेरा ऐसा स्थान है तेरा इस जहां में 
थीं तुम अनमोल मेरे लिए रहोगी अनमोल सदा
मै हो गई दूर थी, पर मेरी मां रही थी मेरे पास सदा  
शब्द  के श्रद्धा सुमन समर्पित ममतामयी मां तेरे लिए 
जब ईश्वर भी सब जगह न पहुंच सका तब मां तुझे बनाया उसने 
शत-शत वंदन, शत-शत वंदन मेरी प्यारी मां तुझे....  

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