कोख में क्यों मार दिया मां
मैं भी इस आंगन में खेलना चाहती थी
चिड़ियों की तरह चहकना चाहती थी
मुझसे मेरा बचपन छीन लिया मां
मुझसे ही तीज, राखी, भैया दूज की रौनक है
मुझे इन उत्सवों से क्यों वंचित कर दिया मां
मुझे कोख में ही क्यों मार दिया मां
ऐसी तेरी क्या मजबूरी रही
क्यों मौन यह कर, सहर्ष स्वीकार किया