दहशत भरी है दिलों में,मोहल्लों में मातमी साये हैं
लोग हैं हारे टूटे ,कोविड सितम, कमर तोड़ गया है,
ढा रहा है कहर औ ज़िन्दगियों को झिंझोड़ गया है!
हैरां है हर आदमी,ग़मगीन चेहरे पे मुर्दनी पसरी हुई,
जाने कौन ये ठीकरा,सबके सर पर फोड़ गया है!
बिछड़े जो इंसान अपनों से,मिल न पाएंगे वे कभी,
मजबूरियां इतनी, इंसान ही इंसान से मुँह मोड़ गया है!
दहशत भरी है दिलों में,मोहल्लों में मातमी साये हैं
वबा की बेबसी ऐसी आयी, मानुष हाथ जोड़ गया है!
घबराना न इस दौर से दोस्तों ये अंजन कहती है