डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र
स्वतंत्र लेखिका, संगीत, काव्य और साहित्य में अभिरुचि
साहस आत्मबलिदान स्वरूप
रंग वीरों का केसरिया,
हृदय से उसका सम्मान करें !
श्वेत रंग परिचायक शांति का
पवित्रता का ये आह्वान करे !
अशोक चक्र की धर्मचक्र...
तुम जो मेरे हुए !!
मिली हर ख़ुशी
चूड़ियों की खन-खन
पायल की छन-छन
दास्तां नई सुनाने लगी
तुम जो मेरे हुए....
रातें हुईं मदभरी
ख़ूबसूरत सबेरे हुए
साँसे...
भारतीय अधरों का... गौरव और मान है हिंदी,
भारत की प्रमुख पहचान और सम्मान है हिंदी !
फ़ारसी से उपजी,संस्कृत की लाड़ली बेटी महान है हिंदी,
भारत की मुख्य...
ए खुदा बंदों को महसूस हो तेरी मौजूदगी औ ख़ुदाई,
इस वास्ते तूने इस ज़मी पर इन्सान की "माँ" बनाई !
लोग हैं हारे टूटे ,कोविड सितम, कमर तोड़ गया है,
ढा रहा है कहर औ ज़िन्दगियों को झिंझोड़ गया है!
हैरां है हर आदमी,ग़मगीन चेहरे पे मुर्दनी पसरी हुई,
जाने कौन...
रमंति इति रामः!
हे अजेय !
हो दुर्जेय !
मम जीवन मंत्र तुम्हीं
रोम-रोम में रमण तुम्हीं
गति का नाम तुम्हीं
सतत प्रवाहित
एक नाम तुम्हीं !
हे शिव आराधक
बहुत जुगत लिया लगाय, पर सूझे न कोई उपाय, तीव्रमती पड़ोसन को
कैसे बनाया मूरख जाय, सहसा बुद्धि में द्रुत गति से
हो सबसे बेहतर मिरे लिए ,तिरा कोई सानी नहीं है ।
सुन मिरे अमीर !तिरे ज़ज्बातों का तर्जुमानी नहीं है !
चाहे हो बहार-ए-फ़िज़ा या फिर ख़ुश्क खिज़ां का झड़ता मौसम...
हे पार्वती पति !
अविनाशी
व्योमकेश
मैं न जानती
तेरा पूजन विशेष
योग भी ना समझूं
ना आती अर्चना,
बस तू ही अंतस में
तू ही मानस में
तू...
प्यारी आयशा तुमने अपने अम्मी और अब्बू के बारे में क्यों नहीं सोचा..कभी गर सोचा होता तो शायद ये निष्ठुर क़दम तुम कभी नहीं उठा पाती ..तुमने अपने दोस्तों के...