चीन से बदलते रिश्तों पर हिन्द‍ी कविता...

डॉ. रामकृष्ण सिंगी
लगता तो है इस बार। 
रंग लाएगा पारस्परिक हितों पर आधारित यह प्यार ।।
भारत चाहता है एक सतत चुभन, अकुलाहट से मुक्ति,
चीन की नजर में है 
भारत का विस्तृत बाजार ।।1।।
 
कुछ भी स्थिर नहीं है,
निरन्तर बदलते इस जमाने में।
कूटनीति में देर नहीं लगती 
पास से दूर, दूर से पास आ जाने में ।।
 
देखिए गले मिल रहे हैं दो कोरिया,
कल के थे जो कट्टर दुश्मन।
संकोच नहीं है किसी को भी 
नई नीति आजमाने में ।।2।।
 
रंग ला रही है मोदी की रचनात्मक कूटनीति।
दुश्मन को भी गले लगाने की,
भूल कर उसकी सब कुरीति ।।
सहिष्णुता, दीर्घ सोच, रचनात्मकता, उदारता,
राष्ट्रीय हित, अपनी सीमाओं का ध्यान,
बिंदु है जिन पर आधारित है उनकी 
समग्र रणनीति ।।3।।
 
विश्व में बनी हमारी प्रतिष्ठा 
हमारे समर्थन में है।
हमारी आज की स्थिति, कल की संभावनाएं,
हमारे आकलन में है ।।
विकास के सोपानों पर चढ़ने का 
हमारा संकल्प और सत्वरता,
भारत का मूल्यांकन करते हुए 
संसार भर के जेहन में है ।।4।।

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