इस सुन्दरतम धरा को
देख रही है श्राद्ध करते हुए, उस श्रद्धा का
जो वर्षों से तुम्हारे हृदय में था।
तुम्हारी इस घिनौनी हरकत से
वह नाले में तब्दील हो रही।
लहराती, इठलाती, मचलती हुई
लेकिन सावधान! नदी का अस्तित्व तुम्हारे जीवन का प्राणवायु है
उसके त्याग, बलिदान और संयम के कारण तुम चिरायु हो
तो अब! अपने इस चिंतन में बदलाव लाओ
नदी 'मां' स्वरूपा है, इसका खोया गौरव वापस लाओ।