बनो धीरगंभीर तू, होवो सबसे महान।
पराकाष्ठा वीरत्व की, छू लो देश के वीर।
सबल प्रबल चल बह सदा, जैसे बहता नीर।
छोड़ असंभव शब्द को, सब संभव है जान।
तू युवा यौवन भरा, निज शक्ति पहचान।
ओत-प्रोत तू यौवन से, है युवा देश प्राण।
उठ चलो आगे बढ़ो, कर यौवन बलिदान।
गज समान पग को बढ़ा, डिगा सके न कोय।
सतत एक सैम बढ़ सदा, बाधा विघ्न जो होय।