सुनहरे दोहे : सोना सोना जो किया

किरण सुनहरी जोड़िए,जितनी चाहे आप 
कभी कोई ना कह सके,ज़रा वज़न तो नाप
गलत दिशा में दौडती जनता की सरकार
सही रास्ते पर चलो समय की ये दरकार
 
मोहित सोने पर रहा नारी मन और तन  
कीमतें इतनी बढ़ी खरीद न पाये कन
 
रोक ज़रूरी है सदा,जोड़े बिना हिसाब
अपनी सीरत में रखें सोने सा बस आब
 
सोना सोना जो किया देखो बढ़ा गुमान
धन दौलत पर भूलकर, करो न तुम अभिमान.. .  

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