बदलेगा डीडी का रंग-रूप और तेवर

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दूरदर्शन को प्रतियोगिता में रहना है लेकिन वह निजी टीवी चैनलों की तरह व्यावसायिक तथा केवल मनोरंजन प्रधान नहीं हो सकता है। यह पब्लिक ब्रॉडकास्टर है, जिसका दायित्व जनहित को ध्यान में रखकर सही सूचना देना, सामाजिक-आर्थिक जागरूकता बढ़ाना तथा स्वच्छ तरीके से मनोरंजन उपलब्ध कराना है।

प्रसार भारती के कतिपय विवादों तथा निजी चैनलों की प्रतियोगिता के बावजूद दूरदर्शन की नई महानिदेशक अरुणा शर्मा ने दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों को अधिक प्रभावी, ज्ञानवर्धक, मनोरंजक बनाने की तैयारी की है। आईएएस अधिकारी के रूप में पिछले 27 वर्षों के दौरान मध्यप्रदेश तथा केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुकीं अरुणा शर्मा सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों के लिए प्रतिबद्ध हैं।

चार महीने पहले महानिदेशक का पद संभालने के बाद उन्होंने दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों के कामकाज, समस्याओं तथा भावी संभावनाओं का गहराई से अध्ययन किया। प्रसार भारती के वरिष्ठ सदस्यों, अधिकारियों, सूचना-प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी से विचार-विमर्श के बाद अरुणाजी ने दूरदर्शन को सशक्त बनाने की तैयारी कर ली है। पिछले दिनों दूरदर्शन की भावी कार्ययोजना, प्राथमिकताओं तथा पारदर्शिता पर उन्होंने 'नईदुनिया' के साथ विस्तार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं इसी बातचीत के अंशः

दूरदर्शन की पब्लिक ब्रॉडकास्टर की भूमिका सार्थक बनाने के लिए आपकी क्या योजना है?

- पब्लिक ब्रॉडकास्टर के नाते हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम शासन की सोच, उसकी परिकल्पनाएँ, उसकी नीतियाँ और उन्हें साकार करने के लिए जो राशि उपलब्ध कराई जा रही है उसकी संपूर्ण जानकारी जरूरतमंद गरीब जनता तक पहुँचाएँ। सरकार के तमाम कार्यक्रमों और नीतियों को कार्यान्वित होने में आज जो सबसे बड़ी बाधा या यूँ कहें कि खाई है, वह है इसके बारे में जनता में जानकारी का अभाव। हमें इस खाई को पाटना है।

सहज, सरल जानकारी का एक ऐसा पुल तैयार करना है जिसके जरिए तमाम नीतियों का बारीक से बारीक बिंदु भी जनता को मालूम हो। हमारी कोशिश रहेगी कि न्यूज चैनल पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे सकारात्मक कार्यक्रमों और सफलताओं (सक्सेस स्टोरी) को दिखाएँ, ताकि दूसरे राज्य, इलाके इससे पे्ररणा लेकर आगे बढ़ें। 'कल्याणी' ऐसा ही कार्यक्रम है। ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा भी प्राइम टाइम में रखी गई है।

निजी व्यावसायिक टीवी चैनलों की प्रतियोगिता से निपटने के लिए दूरदर्शन किस तरह कार्यक्रमों का रंग-रूप और प्रस्तुतिकरण बदलेगा?

- स्वस्थ और रोचक मनोरंजन पेश करना आज हमारे लिए एक चुनौती है। इसलिए बहुत जरूरी है कि हमारे कार्यक्रम उच्च स्तरीय हों और गुणवत्ता वाले हों। दूरदर्शन में एसएफसी कार्यक्रम द्वारा हम उस मुकाबले पर आते हैं। एसएफसी यानी 'सेल्फ फाइनेंस स्कीम' के तहत अच्छे निर्माता यहाँ आ रहे हैं। उनके कई कार्यक्रम बहुत अच्छे हैं।

निजी चैनलों के मुकाबले हम कार्यक्रमों में पीछे नहीं हैं, बल्कि कई मायने में उनसे बेहतर हैं। हमारी कमी केवल यह है कि हम प्राइवेट चैनलों की तरह प्रचार नहीं कर पाते हैं लेकिन हम इस ओर ध्यान दे रहे हैं।

दूरदर्शन में आने से पहले आप मध्यप्रदेश और केंद्र में वरिष्ठ प्रशासनिक पदों पर रही हैं। तब आपके दिमाग में इसकी छवि कैसी थी? उसे बदलने और सुधारने के लिए आप क्या करेंगी?

- मध्यप्रदेश में जनसंपर्क विभाग में रहकर जो बातें समझी थीं, वह यह कि घर-घर तक पहुँचने के मामले में दूरदर्शन का जवाब नहीं है। अगर हम कोई सूचना घर-घर तक पहुँचाना चाहते हैं, तो दूरदर्शन से अच्छा माध्यम कोई नहीं है। दूरदर्शन की इस खासियत के कारण बहुत फर्क पड़ जाता है। हम तो बड़े ही हुए हैं दूरदर्शन को देखकर।

जहाँ तक छवि सुधार का सवाल है, तो दूरदर्शन एक मल्टी चैनल संस्थान है। हर चैनल का अपना उद्देश्य है। जैसे डीडी कश्मीर या डीडी उर्दू या फिर डीडी इंडिया या डीडी नॉर्थ ईस्ट है। सबकी अपनी खासियत और अपने मकसद हैं। ये चैनल एक खास दर्शक वर्ग की अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर चलाए गए हैं और उनके कार्यक्रम भी उनकी भाषा, संस्कृति, सभ्यता और समस्याओं को ध्यान में रखकर बनाए और दिखाए जाते हैं।

यदि हम डीडी इंटरनेशनल यानी डीडी इंडिया को लें, तो यह विदेशों के दर्शकों को ध्यान में रखकर चलाया गया है। पिछले 15 वर्षों में हमने 146 देशों में इस चैनल के सिग्नल तो भेजने की व्यवस्था कर दी थी पर वह सिग्नल दर्शकों के घरों तक पहुँचे, इसकी पुख्ता व्यवस्था नहीं हो पाई थी।

मेरी योजना यह है कि सिग्नल को घरों तक पहुँचाने की पुख्ता व्यवस्था हो। इसके लिए उन देशों की सबसे लोकप्रिय प्रचलित व्यवस्था की मदद ली जा रही है। डीडी इंडिया यूँ भी बहुत महत्वपूर्ण चैनल है क्योंकि आज दुनिया की रुचि भारत में बहुत बढ़ गई है। एक तो हम उभरते हुए देश हैं और दूसरा, यहाँ अथाह संभावनाएँ भी हैं।

दूरदर्शन के पास बड़ा तंत्र है और कर्मचारियों की फौज है पर क्या सरकार से प्रसार भारती को समुचित अनुदान मिल पाता है जिससे प्रोफेशनल परिणाम मिल सकें?

- दूरदर्शन की मैनपावर बहुत ही सक्षम, प्रतिभावान और अनुभवी है। सरकार से भी अच्छी ग्रांट मिलती है। परंतु जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनकी जगह नई नियुक्ति नहीं हो पा रही है। नए टैलेंट की जरूरत है दूरदर्शन को। हम इस समस्या पर प्रसार भारती बोर्ड तथा सरकार से विचार-विमर्श कर रहे हैं।

राष्ट्रमंडल खेलों के लिए दूरदर्शन की क्या तैयारी है?

- पहली बार इतने बड़े राष्ट्रमंडल खेलों के लिए दूरदर्शन होस्ट ब्रॉडकास्टर है। यह बहुत बड़ी बात है हमारे लिए। होस्ट ब्रॉडकास्टर होने के कारण हम एचडी सिग्नल देंगे, एचडी में टेलिकास्ट करेंगे। जिन लोगों के पास प्लाज्मा टीवी है, उन्हें बहुत अच्छी गुणवत्ता की तस्वीर देखने को मिलेगी। जिन लोगों के पास प्लाज्मा टीवी नहीं भी है, उन्हें भी अभी के मुकाबले बहुत ही अच्छी गुणवत्ता वाली टेलिकास्ट देखने को मिलेगी।

शीघ्र ही हमारे चैनलों पर कैप्सूल आने लगेंगे कि किस प्रकार के खिलाड़ी आ रहे हैं। कौन-सा देश किन खेलों में आगे रहा है, आदि। यूँ कहें कि राष्ट्रमंडल खेलों से संबंधित कर्टन रेजर जल्द ही स्पोर्ट्स चैनल पर दिखने लगेंगे। दूरदर्शन के लिए होस्ट ब्रॉडकास्टर का अनुभव बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। क्योंकि तब हम अन्य इवेंट के लिए भी होस्ट ब्रॉडकास्टर का बिड भर सकते हैं।

प्रमुख बिन्दू
दूरदर्शन पर सकारात्मक कार्यक्रम, सक्सेस स्टोरीज़ दिखाएँगे।
निजी चैनलों के मुकाबले दूरदर्शन के कार्यक्रम बेहतर, कमी प्रचार की है।
नए टैलेंट की जरूरत है दूरदर्शन को।
एचडी सिग्नल से बेहतरीन प्रसारण होगा राष्ट्रमंडल खेलों का

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