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मुलाकात
लेखक पात्र के पीछे चलता है : विनोद कुमार शुक्ल
नारीवादी होना मेरी मजबूरी है : सुधा अरोड़ा
कविता अनायास जन्म लेती है : सुनीता जैन
जीवन की मीठी किताब डूबकर पढ़ती हूँ : सूर्यबाला
जीवन एक मीठी किताब है, डूब कर पढ़ती हूं : सूर्यबाला
साहित्य मेरा धर्म है : बालकवि बैरागी
मीडिया में साहित्य नहीं बचा : डॉ. नामवर सिंह
'हिन्दी में आने वाले विदेशी प्रकाशक वास्तव में हिन्दी की जमीन को नहीं पकड़ पा रहे हैं और उनमें साम्र...
कला के लिए जरूरी है समर्पण- पं. जसराज
औरत जिस्म से कहीं आगे होती है : इमरोज
आग लगी है तो सूखी टहनियाँ जलने दो
मालवी की महक गायब हो रही है : नरहरि पटेल
साहित्यकार खेमेबाजी से दूर रहें : प्रो.जैन
बदलेगा डीडी का रंग-रूप और तेवर
पनप चुका है सांस्कृतिक माफिया !
जो दमदार होगा, वही टिकेगा !
मंगलवार, 30 जून 2009
लेखन बिखरने नहीं देता : मन्नू भंडारी
हमें करूणा ही बचा सकती है
यह एक ऐसा कवि है जो एक माँ के लिए कविताएँ लिखते हुए औरत की दुनिया में एक बच्चे के जरिये शामिल होता ह...
लेखन से समझौता नहीं: मालती जोशी
लघुकथा : विराट प्रभाव की अभिव्यक्ति है
शब्द का संग छूटा, तो रंगों ने थाम लिया