पवित्रा अग्रवाल
''अम्मा आपकी बाजू वाली को कामवाली होना, झाड़ू पोंछा, बर्तन, कपड़े का काम हमसे कराने की बोल रई। कैसे लोगाँ है?....किटकिट वाली तो नहीं?''
''अच्छे लोग हैं। तुझे काम की जरूरत भी थी, कर ले।''
चार दिन बाद फिर बोली ''अम्मा, आपकी पहचानत में किसी को कामवाली होना तो बोलो...?''
''तेरे पास अब और काम करने का समय कहाँ बचा है? चार दिन पहले ही तो तूने बाजू वाली का नया काम पकड़ा है!''
''पर वो तो हम छोड़ दिए, अम्मा।''
''कल तक तो उनकी इतनी तारीफ कर रही थी। आज काम छोड़ आई, क्यों? पगार कम थी या काम ज्यादा था या किटकिट वाली है?''
''ऐसा कुछ भी नहीं अम्मा, सब अच्छा था।....आज ही पता चला कि वो हमसे छोटी जाति की है।...अपनी से छोटी जाति वालों के जूठे बासन कैसे माँजना?''
साभार : लघुकथा.कॉम