"मेरे लिए तो बहू और बेटी में कोई फ़र्क नहीं। बहू तो मेरी बिटिया ही है।"
बहू भी यह बात उमगकर सुनती और ईश्वर के प्रति बारम्बार आभार व्यक्त करती स्वयं को भाग्यवान समझती।
मीनाक्षी आई है। उसके लिए गर्म रोटी उतार दे।"
बहू ने आज पहली बार विनम्रतापूर्वक इंकार करते हुए कहा-"मां!आज तुम्हारी इस बेटी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। भोजन मैंने अधिक ही बनाया है। मीनाक्षी दीदी भी बड़े आराम से खा लेंगी।"