वे नगरसेठों में गिने जाते थे। दान-पुण्य करने में नगर के शीर्षस्थ व्यक्ति।
एक दिन वे अपनी नई चमचमाती कार में बैठकर मंदिर गए। कार से उतरते ही एक दीन-हीन वृद्धा ने उनके निकट आकर याचना की-"बाबू जी! चार दिन से भूखी हूं। कुछ पैसे दे दीजिए।"
ऐसा कहते हुए उन्होंने वृद्धा को लगभग धक्का ही दे दिया।
इसी बीच उनके प्यारे टॉमी ने कार को सूंघकर अपनी नित्यक्रिया से उसे अस्वच्छ कर दिया। यह देखकर वे मुस्कराए और उसे 'नॉटी बॉय' कहते हुए गोद में उठा लिया।