A short story about love : मीठी सी कहानी, क्या यही प्यार है?

डॉ. छाया मंगल मिश्र
हां... हां... यही प्यार है! 
 
हेयर कटिंग सेलून में जब मैं अंदर दाखिल हुई तो वहां थोड़ी भीड़ थी। मुझे इंतजार करना होगा, ऐसा रिसेप्शनिस्ट ने कहा। कम-से-कम आधा घंटा। मैं आस-पास देखने लगी कि यहीं रुकूं या कुछ खरीदी कर आऊं? बाहर की तेज गर्मी और चिपचिपी उमस ने वहीं उस वातानुकूलित सेलून में रुकने को बाध्य किया, मैं बैठ गई। मेरी नजर वहीं पास में बैठे एक दंपति पर पड़ी।
 
दोनों लगभग 60-62 की उम्र के साधारण कद-काठी के थे। पर कुछ तो खास बात थी उनमें, जो उन्हें खूबसूरत बना रही थी। आपस में कानाफूसी कर रहे थे। शायद काफी देर से आए बैठे थे। बॉबकट बालों वाली पत्नीजी ने सिलेक्सनुमा पायजामा व लंबी टीशर्ट-सी कुर्ती पहन रखी थी। पतिजी ने सामान्य, पर सलीकेदार पेंट-शर्ट पहना हुआ था।
 
वे शिष्ट और आधुनिक विचारधारा के साथ चलने का आनंद लेने वाले लग रहे थे। अपनी ही मस्ती में मस्त। दोनों देर तक कुछ आपस में बातें करते, मोबाइल पर कुछ-कुछ देखते। आखिर में उन्होंने रिसेप्शनिस्ट से कहा कि अब उन्हें भी अपनी बारी का नंबर दे दें। जानते हैं उन्होंने क्या किया? पति ने अपनी पत्नी के लिए 'हेयर-स्टाइल' पसंद किया और पत्नी ने पति के लिए।
 
उन्होंने बड़ी अदा और प्यार से रिसेप्शनिस्ट से पूछा 'ये कटिंग हो पाएगा?' उसके हामी भरते ही दोनों ने एक दूसरे को खुश होकर देखा। उनके वो शब्द 'तुम इसमें बहुत प्यारे औरअच्छे लगोगे', 'तुम इसमें स्मार्ट और सुंदर लगोगी' में ही वो ख़ूबसूरती का राज छुपा था।
 
यही प्यार, समर्पण, चाह की चमक थी, जो उन्हें भीड़ में भी साधारण से असाधारण बना रही थी और सबको अपनी ओर आकर्षित करने के लिए काफी थी। बढ़ती उम्र का प्यार देह से परे, पर देह पर अपनी कितनी गहरी छाप छोड़ता है।
 
यही आपकी सुन्दरता का राज भी बन जाता है। मैं गद गद निगाहों से उन्हें तकती रही। उनके निश्छल प्रेम और चाहत को उनकी जुल्फों के आकार में साकार होते देखती रही। प्रेम भी कितने रूप गढ़ता है अपने। अपनी जगह बना ही लेता है। और अब मेरी बारी आ चुकी थी। वो दोनों हाथ में हाथ डाले जा चुके थे। मेरे मन में प्रेम-प्यार, समर्पण की नई परिभाषा लिखकर।
 
मैं सोच रही हूं। हां... हां... हां... यही प्यार है!  

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