Pakshi tirth : भारतीय में यूं तो चिढ़ियाघरों में कई पक्षी विहार होंगे जहां पर हजारों पक्षियों को आप देख सकते हैं। ऐसे भी कई तालाब, सरोवार आदि हैं जहां पर आप हजारों की संख्या में दूर देश से आए प्रवासी पक्षियों के निहार सकते हैं। परंतु, हम आपको बताना चाहते हैं देश के एक ऐसे पक्षी तीर्थ के बारे में जहां पर पता नहीं कहां से पक्षी आते हैं और कहां चले जाते हैं।
पक्षी तीर्थ वेदगिरि पर्वत, चेन्नई :-
चेन्नई से लगभग 60 किलोमीटर दूर एक तीर्थस्थल है जिसे 'पक्षी तीर्थ' कहा जाता है। यह तीर्थस्थल वेदगिरि पर्वत के ऊपर है।
दक्षिण रेलवे के मद्रास एगमोर-रामेश्वरम् रेलमार्ग पर मद्रास से करीब 56 किमी दूरी पर आता है चेंगलपट्ट स्टेशन, यहां से 14 किमी दूरी पर है 'पक्षी तीर्थ'।
मान्यता है कि यहां दिन में 11 बजे से दोपहर 2 बजे के बीच पक्षियों के दर्शन होते हैं।
मान्यता है कि ये हजारों पक्षी कैलाश पर्वत से आते हैं।
कई सदियों से दोपहर के वक्त यहां गरूड़ का एक जोड़ा सुदूर आकाश से उतर आता है और फिर मंदिर के पुजारी द्वारा दिए गए खाद्यान्न को ग्रहण करके आकाश में लौट जाता है। लेकिन इसका कोई प्रमाण नहीं है।
इन्हें स्थानीय लोग चमरगिद्धा, मलगिद्धा के नाम से पुकारते हैं। सैकड़ों लोग उनका दर्शन करने के लिए वहां पहले से ही उपस्थित रहते हैं।
वहां के पुजारी के मुताबिक सतयुग में ब्रह्मा के 8 मानसपुत्र शिव के शाप से गरूड़ बन गए थे। उनमें से 2 सतयुग के अंत में, 2 त्रेता के अंत में, 2 द्वापर के अंत में शाप से मुक्त हो चुके हैं। कहा जाता है कि अब जो 2 बचे हैं, वे कलयुग के अंत में मुक्त होंगे।
पक्षी तीर्थ में ही रुद्रकोटि शिव मंदिर स्थित है। मंदिर में ही शंकरतीर्थ नाम का सरोवर है।
पक्षीतीर्थ के नजदीक ही एक पहाड़ी वेदगिरि पर एक शिव मंदिर है। लगभग 500 सीढ़ियां चढ़कर इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
पितरों के तीन ही पक्षी हैं :-
कौवा, हंस और गरुढ़।
कौए को अतिथि-आगमन का सूचक और पितरों का आश्रम स्थल माना जाता है।
पक्षियों में हंस एक ऐसा पक्षी है जहां देव आत्माएं आश्रय लेती हैं। यह उन आत्माओं का ठिकाना हैं जिन्होंने अपने जीवन में पुण्यकर्म किए हैं और जिन्होंने यम-नियम का पालन किया है।
भगवान गरुड़ विष्णु के वाहन हैं। भगवान गरुड़ के नाम पर ही गुरुढ़ पुराण है जिसमें श्राद्ध कर्म, स्वर्ग नरक, पितृलोक आदि का उल्लेख मिलता है।