हिन्दू धर्म के 10 क्या-क्या है प्रमुख, जानिए रोचक जानकारी

सोमवार, 8 नवंबर 2021 (16:48 IST)
Hinduism : हिन्दू धर्म को सनातन और वैदिक धर्म भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह धर्म लाखों वर्ष से अस्तित्व में है जबकि ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार करीब 90 हजार वर्षों से यह धर्म प्रचलन में है। आओ जानते हैं कि इस धर्म में कौनसी ऐसी 10 बाते प्रमुख हैं जिसे हर किसी को जानता चाहिए।
 
 
10 तरह की संध्यावंदन : 1.प्रार्थना-स्तुति, 2.ध्यान, 3.पूजा, 4.आरती, 5.कीर्तन, 6. साधना, 7.संध्या 8.पाठ, 9.जप और 10.प्राणायम।...प्रत्येक के कई प्रकार होते हैं।
 
10 तरह की पूजा : पूजा में पंचोपचार, दशोपचार और षोडषोपचार पूजा होती है- 1. पाद्य 2. अर्घ्य 3. आचमन 4. स्नान 5. वस्त्र 6. गंध 7. पुष्प 8. धूप 9. दीप 10. नैवेद्य। इसके अलावा आभूषण, ताम्बूल, स्तवन पाठ, पिंड, तर्पण और नमस्कार होता है, परंतु दशोपचार प्रमुख है। इसके अलावा द्वात्रिशोपचार (32 प्रकार), चतुषष्टि प्रकार (64 प्रकार) और एकोद्वात्रिंशोपचार (132 प्रकार) पूजा भी होती है जो विशेष समय पर आयोजित होती है।
 
10 यम- नियम : 1.अहिंसा, 2.सत्य, 3.अस्तेय 4.ब्रह्मचर्य, 5.अपरिग्रह, 6.शौच, 7.संतोष, 8.तप, 9.स्वाध्याय और 10.ईश्वर-प्रणिधान।
 
10 पवित्र ध्वनियां : 1.घंटी, 2.शंख, 3.बांसुरी, 4.वीणा, 5. मंजीरा, 6.करतल, 7.बीन (पुंगी), 8.ढोल, 9.नगाड़ा और 10.मृदंग।
 
10 तरह के कर्तव्य : 1. संध्यावंदन, 2. व्रत, 3. तीर्थ, 4. उत्सव, 5. दान, 6. सेवा 7. संस्कार, 8. यज्ञ, 9. गीता-वेदपाठ और 10. धर्म प्रचार। 
 
10 पूजा के फूल : 1.आंकड़ा, 2.कमल, 3.पारिजात, 4.गुड़हल, 5.रजनीगंधा, 6.कनेर, 7.चंपा, 8.गुलाब, 9.चमेली, 10.गेंदा।
 
10 शुभ पत्ते : 1.तुलसी, 2. बिल्वपत्र, 3.पान के पत्ते, 4.केले के पत्ते, 5.आम के पत्ते, 6. शमी के पत्ते, 7. पीपल के पत्ते, 8. बरगद के पत्ते, 9.आंकड़े के पत्ते और 10. सोम पत्ती।
 
10 तरह के पेय : 1. पंचामृत, 2. चरणामृत, 3. तुलसी रस, 4.आंवला रस, 5. नीम रस, 6. सोमरस, 7. पंचगव्य 8. अमृत 9. खीर और 10.गंगाजल।
 
10 दिग्पाल : 10 दिशाओं के 10 दिग्पावल अर्थात द्वारपाल होते हैं। उर्ध्व के ब्रह्मा, ईशान के शिव व ईश, पूर्व के इंद्र, आग्नेय के अग्नि या वह्रि, दक्षिण के यम, नैऋत्य के नऋति, पश्चिम के वरुण, वायव्य के वायु और मारुत, उत्तर के कुबेर और अधो के अनंत।
 
10 धार्मिक स्थल : 1. बारह ज्योतिर्लिंग, 2. एक सौ आठ शक्तिपीठ, 3. चार धाम, 4. सप्तपुरी, 5. पांच पवित्र सरोवर, 6. चार मठ, 7. दस पर्वत, 8. 10 गुफाएं, 9. दस समाधि स्थल और 10. सात पवित्र नगर।
 
10 प्रमुख उत्सव : 1.नवरात्रि-शिवरात्री, 2. दशहरा-दीपावली, 3. होली, 4. गणेश उत्सव, 5.कुंभ पर्व, 6. पोंगल, 7. ओणम, 8. वसंत पंचमी, 9. नवसंवत्सर-गुड़ी पड़वा और 10. संक्रांति-लोहड़ी।
 
10 खास जन्मोत्सव : 1.राम नवमी, 2. कृष्‍ण जन्माष्टमी, 3. हनुमान जन्मोत्सव, 4. महर्षि वाल्मीकि जयंती, 5. रविदास जयंती, 6. अग्रसेन जयंती, 7. परशुराम जयंती, 9. गोगादेव जयंती 10. रामसापीर जयंती।
 
रिश्तों के 10 पर्व : 1. रक्षा बंधन-भाई दूज, 2. गुरु पूर्णिमा, 3. करवाचौथ, 4. गौरी गणेश पूजन- संतान सप्तमी-आंवला नवमी, 5.वसंत पंचमी, 6.मकर संक्राति, श्राद्ध पक्ष, 8. छट पूजा, 9. हड़तालीका तीज और 10. वट सावित्री।
 
10 प्रमुख व्रत : 1. एकादशी, 2. प्रदोष, 3. चतुर्थी, 4. नवरात्रि, 4. चातुर्मास, 5. छठ, 6. हड़तालिका तीज, 7. पूर्णिमा, 8. अमावस्या, 9. शिवरात्रि और 10. करवाचौथ।
 
10 धार्मिक सुगंध : 1. गुग्गुल, 2.चंदन, 3.गुलाब, 4.केसर, 5.कर्पूर, 6.अष्टगंथ, 7.गुढ़-घी, 8.समिधा, 9.मेहंदी और 10. चमेली।
 
10 दिव्य आत्माएं :  1.कामधेनु गाय, 2. गरुढ़, 3. संपाति-जटायु, 4. उच्चै:श्रवा अश्व, 5. ऐरावत हाथी, 6. शेषनाग-वासुकि, 7. रीझ मानव, 8. वानर मानव, 9. येति, 10. मकर।
 
10 दैवीय वस्तुएं : 1. कल्पवृक्ष, 2. अक्षयपात्र, 3. कवच-कुंडल, 4. दिव्य धनुष और तरकश, 5. पांचजन्य शंख, 6. संजीवनी बूटी, 7. शिवलिंग- शालिग्राम, 8. गोमती चक्र, 9. मणि ( पारस, स्यंमतक, नाग, नील, चंद्रकांता, कौस्तुभ और अश्वत्थामा की मणि ) और 10. अमृत कलश।
 
10 महाविद्या : 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4. भुवनेश्‍वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला।
 
10 बाल पुस्तकें : 1.पंचतंत्र, 2.हितोपदेश, 3.जातक कथाएं, 4.उपनिषद कथाएं, 5.वेताल पच्चिसी, 6.कथासरित्सागर, 7.सिंहासन बत्तीसी, 8.तेनालीराम, 9.शुकसप्तति, 10.बाल कहानी संग्रह।
 
10 पूजा : 1. गंगा दशहरा, 2. आंवला नवमी पूजा, 3. वट सावित्री, 4. तुलसी विवाह पूजा, 5. शीतलाष्टमी, 6. गोवर्धन पूजा, 7. हरतालिका तीज, 8. दुर्गापूजा, 9. भैरव पूजा और 10. छठ पूजा।
 
10 सिद्धांत : 1.एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति (एक ही ईश्‍वर है दूसरा नहीं),  2.आत्मा अमर है, 3.पुनर्जन्म होता है, 4.मोक्ष ही जीवन का लक्ष्य है, 5. कर्म का प्रभाव होता है, जिसमें से ‍कुछ प्रारब्ध रूप में होते हैं इसीलिए कर्म ही भाग्य है, 6.संस्कारबद्ध जीवन ही जीवन है, 7.ब्रह्मांड अनित्य और परिवर्तनशील है, 8.संध्यावंदन-ध्यान ही सत्य है, 9.वेदपाठ और यज्ञकर्म ही धर्म है, 10. दान ही पुण्य हैं।

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