होली की भाई दूज क्यों मनाते हैं?

HIGHLIGHTS
 
• होली भाई दूज पर होगी यमराज और यमुना की पूजा।
• भगवान चित्रगुप्त की पूजा का दिन होली की भाई दूज।
• होली भाई दूज पर है तिलक लगाने की परंपरा।

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Holi Bhai Dooj : प्रतिवर्ष चैत्र माह की द्वितीया तिथि पर होली की भाई दूज का पर्व तथा भगवान चित्रगुप्त का पूजन किया जाता है। इस वर्ष यह दिन 27 मार्च 2024, दिन बुधवार को पड़ रहा है। होली की भाई दूज भारतभर में सभी जगहों पर नहीं, परंतु कहीं-कहीं स्थानों पर ही मनाई जाती है। इस पर्व के दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करते हुए उन्हें तिलक करती हैं और उनके सुखी-सपन्न जीवन की प्रार्थना करती हैं। 
 
धार्मिक मान्यता के अनुसार हर साल होलिका दहन के पश्चात होली-धुलेंडी के अगले दिन होली भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। कायस्थ जाति को उत्पन्न करने वाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ था।

यह त्योहार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितिया तिथि को पड़ता है। और दूज का त्योहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित कहा गया है। जिसे कईं स्थानों पर भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस खास दिन पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनकी सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं। 
 
साथ ही इस दिन मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना की भी पूजा की जाती है। इस पर्व में तिलक के बाद भाई अपने सामर्थ्यनुसार बहन को भेंट देकर अपनी बहन के चरण स्पर्श करता हैं। इस दिन जहां बहन भाई को तिलक करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देता है। मान्यता हैं कि इस दिन यमराज के नाम का दीया जलाने से समस्त पापों का नाश होकर भगवान चित्रगुप्त की कृपा भी प्राप्त होती है। 
 
शास्त्रों की मानें तो होली के अगले दिन भाई को तिलक करने से भाई के जीवन में आने वाले सभी संकटों से बचाया जा सकता है। इसी कारण बहनें शुभ मुहूर्त में अपने भाई को तिलक लगाकर उसके लंबी उम्र की कामना करती हैं। इसे भ्रातृ द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है।

इसीलिए हर साल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को होली भाई दूज पर्व मनाया जाता है, जो भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करता है तथा इसी दिन भगवान चित्रगुप्त तथा यमराज का पूजा करने का विधान है। भाई-बहन के पवि‍त्र प्रेम को समर्पित इस त्योहार के दिन बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं। 
 
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