माघ पूर्णिमा के दिन क्या है स्नान का महत्व

WD Feature Desk
Magh Purnima Snan 2024 
 
HIGHLIGHTS
 
* माघ पूर्णिमा पर नदी स्नान क्यों?
* माघी पूर्णिमा का महत्व क्या है।
* माघ पूर्णिमा और स्नान का महत्व। 
 
Magh Month 2024 : इस बार वर्ष 2024 में 24 फरवरी, शनिवार के दिन माघी पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस महीने में मघा नक्षत्रयुक्त पूर्णिमा होने से इसका नाम माघ पड़ा। पुराणों में माघ मास के महात्म्य का वर्णन मिलता है, जिसमें माघ पूर्णिमा पर नदी, तट, सरोवर और तीर्थस्थलों पर स्नान, दान, हवन, व्रत आदि कार्य करने का बहुत महत्व माना गया है। 
 
आइए जानते हैं माघ स्नान महत्व के बारे में...
 
महत्व : धार्मिक पौराणिक शास्त्रों के अनुसार माघ मास का बहुत अधिक महत्व कहा गया है। माघ मास या माघ पूर्णिमा के दिन संगम में स्नान का बहुत महत्व है। संगम नहीं तो गंगा, नर्मदा, कृष्णा, क्षिप्रा, गोदावरी, कावेरी, सिंधु, सरस्वती, ब्रह्मपुत्र आदि पवित्र नदियों में स्नान अवश्य ही करना चाहिए। माघ मास में नदी के शीतल जल में डुबकी लगाने से मनुष्य पापमुक्त हो जाता हैं। 
 
इसीलिए कहा गया है कि- 
 
'प्रयागे माघमासे तुत्र्यहं स्नानस्य यद्रवेत्।
दशाश्वमेघसहस्त्रेण तत्फलं लभते भुवि।।'
 
अर्थात्- माघ मास में 3 बार प्रयाग में स्नान करने से जो फल मिलता है, वह फल पृथ्वी में 10000 (दस हजार) अश्वमेघ यज्ञ करने से भी प्राप्त नहीं होता है।
 
'माघे निमग्ना: सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।'
 
अर्थात्- पद्म पुराण में माघ मास के माहात्म्य का वर्णन करते हुए कहा गया है कि पूजा करने से भी भगवान श्रीहरि को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघ महीने में स्नान मात्र से होती है। इसीलिए सभी पापों से मुक्ति और भगवान वासुदेव की प्रीति प्राप्त करने के लिए हर मनुष्य को माघ स्नान अवश्य करना चाहिए।
 
मान्यता के अनुसार माघ मास में इन स्थानों पर स्नान करने से अर्थ, काम, मोक्ष और धर्म चारों की प्राप्ति हो जाती है। उक्त स्थान पर स्नान करने से मनुष्य की कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती। माघ पूर्णिमा के दिन विधिवत स्नान और माता गंगा का पूजन करने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। इस महीने में नदी के किनारे कल्पावास करने का भी बहुत धार्मिक महत्व कहा गया है। साथ ही इस दिन दान- भी अधिक से अधिक करने चाहिए। 
 
माघ पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और जप पुण्य के कार्य करने के साथ-साथ श्रीहरि विष्णु का पूजन, पितृ निमित्त श्राद्ध तथा असहाय और गरीबों को खाने-पीने  की चीजें दान करना और दक्षिणा देना बहुत ही शुभ माना जाता है। 

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