Mahamrityunjaya mantra jaap ki vidhi: श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से यह तुरंत ही सिद्ध होकर फलदायी माना गया है, परंतु इस मंत्र को जपने के नियम और सही विधि जाने बगैर मंत्र जप नहीं करना चाहिए। मंत्रानुष्ठान के लिए शास्त्र के विधान का पालन करना परम आवश्यक है, अन्यथा लाभ के बदले हानि की संभावना अधिक रहती है। आओ जानते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र कितनी बार जपने से सिद्ध होता है, कब और कैसे जपना चाहिए।
इस मंत्र को गायत्री मंत्र के जोड़ने से यह और भी पॉवरफुल हो जाता है। जैसे मंत्र के आगे ॐ हौं जूं स: ॐ भू: भुव: स्व: और अंत में स्व: भुव: भू: ॐ स: जूं हौं ॐ का जोड़ते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र की रचना- इसकी रचना ऋषि मृकण्डु के पुत्र मार्कण्डेय ने की थी, जब उन्हें अपनी अल्पायु की बात अपने पिता द्वारा पता चली तब उन्होंने भगवान भोलेनाथ जी से दीर्घायु का वरदान पाने के लिए शिव जी आराधना शुरू करके महामृत्युंजय मंत्र की रचना की थी।
मंत्र को सिद्ध करने वाले लोग : महर्षि वशिष्ठ, मार्कंडेय, शुक्राचार्य, गुरु द्रोणाचार्य, रावण महामृत्युंजय मंत्र के साधक और प्रयोगकर्ता हुए हैं।
Mahamrityunjaya Mantra महामृत्युंजय मंत्र और जाप विधि-
भय से छुटकारा पाने के लिए 1100 मंत्र का जप किया जाता है।
रोगों से मुक्ति के लिए 11000 मंत्रों का जप किया जाता है।
पुत्र की प्राप्ति के लिए, उन्नति के लिए, अकाल मृत्यु से बचने के लिए सवा लाख की संख्या में मंत्र जप करना अनिवार्य है।
महामृत्युंजय मंत्र कब जपें :
महामृत्युंजय मंत्र का जाप सुबह और शाम दोनों समय किया जा सकता है।
यदि कोई संकट की स्थिति है तो इस मंत्र का जाप पंडित की सलाह से कभी भी किया जा सकता है।
श्रावण मास में तो हर दिन इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप की विधि जाप कैसे करें :
महामृत्युंजय का जाप विधिवत रूप से ही किया जाता है।
महामृत्युंजय का जाप करने के पूर्व संकल्प लेकर संकल्प मंत्र बोला जाता है।
संकल्प में मंत्र जप का उद्देश्य और जप संख्या भी प्रकट करना होती है।
संकल्प करना यानी हाथ में जल लेकर एक बर्तन में पानी डालना और भगवान शिव का आशीर्वाद मांगना।
मंत्र का जप करने के पहले भगवान शिव की पूजा करें।
शिवलिंग पर कच्चा दूध और बेलपत्र अर्पित करें।
भगवान शिव की 5 वस्तुओं से प्रार्थना करें जो एक दीपक, धूप, जल, बेल के पत्ते और फल हैं।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय अपना मुख उत्तर, ईशान या पूर्व दिशा की ओर ही रखें।
यदि आप शिवलिंग के पास बैठकर जाप कर रहे हैं तो जल या दूध से अभिषेक करते रहें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से करना चाहिए।
मंत्र जप के बाद माला को उचित जगह पर सुरक्षित रखना चाहिए।