कौन सा समय है शिवजी का समय :
पुराणों में उल्लेखित है कि सूर्यास्त से दिनअस्त तक का समय भगवान 'शिव' का समय होता है जबकि वे अपने तीसरे नेत्र से त्रिलोक्य (तीनों लोक) को देख रहे होते हैं और वे अपने नंदी गणों के साथ भ्रमण कर रहे होते हैं। इस काल को धरधरी का काल कहते हैं जबकि राक्षसादि प्रेत योनि की आत्माएं सक्रिय रहती है।
इस काल में भूतों के स्वामी भगवान रुद्र का जो अपराधी होता है कठोर दंड पाता है।
इस वक्त भोजन, पानी, संभोग, यात्रा, बहस और हर तरह की वार्तालाप करने की मनाही है।
यदि उपरोक्त कार्य किया तो आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
इस समय जो पिशाचों जैसा आचरण करते हैं, वे नरकगामी होते हैं।
क्या करें इस समय :
ऐसे में यह वक्त अपने ईष्ट देव की भक्ति का वक्त है।
इस काल में संध्यावंदन या भगवत् पूजन आदि करना चाहिए।