Mandir Parikrama : मंदिर में परिक्रमा करते वक्त मूर्ति के की पीठ को भी भी लोग प्राणाम करते हैं। यानी जो मूर्ति स्थापित है उसके पीछे की जो दीवार है, लोग परिक्रमा करते वक्त उस दीवार के पीछले हिस्से पर ओम या स्वास्त्कि बनाकर उसकी भी पूजा करने लगे हैं। क्या किसी देवी या देवता की पीठ को प्राणाम करना उचित है और क्या इससे पुष्ट कर्म नष्ट हो जाते हैं?
यह महाभारत काल की बात है जबकि कालयवन नामक एक मायावी ने जरासंध के कहने पर श्रीकृष्ण को युद्ध की चुनौती दी थी। कालयवन एक सत्कर्मी व्यक्ति था। कहते हैं कि श्रीकृष्ण इस मायावी का वध करने के पूर्व इसके समस्त सत्कर्मों को नष्ट करना चाहते थे। ऐसे करने से सिर्फ पाप कर्म ही शेष रह जाते हैं। सिर्फ पाप कर्म के शेष रह जाने से व्यक्ति जल्द ही मौत के करीब पहुंच जाता है।
हालांकि इस विषय पर अभी भी शोध करने की जरूरत है क्योंकि देवी या देवताओं की परिक्रमा का प्रचलन प्राचीनकाल से ही रहा है और इस परिक्रमा के दौरान उनकी पीठ देखना स्वाभाविक प्रक्रिया है। हालांकि दीवार के बीच में आने से किसी भी देवी या देवता की पीठ नहीं दिखाई देती परंतु पीठ को प्रणाम करना या उसकी पूजा करना उचित नहीं माना जाता है।