इंदौर नगर के प्रसिद्ध मंदिर

इन्द्रेश्वर मंदिर
 
कहा जाता है कि इन्द्रेश्वर मंदिर इंदौर नगर का सर्वाधिक प्राचीन मंदिर है जिसके आधार पर इस नगर का नाम इंदौर पड़ा। यह शिव मंदिर नदी के तट पर एक ऊंचे टीले पर निर्मित किया गया था।

 
हरसिद्धि मंदिर
 
दुर्गादेवी का यह मंदिर भी खान नदी के दूसरे तट पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण महाराजा हरिराव होलकर के शासनकाल में हुआ था। इस मंदिर के विषय में यह कथा प्रचलित है कि यह मूर्ति समीपवर्ती टैंक से निकली थी और वह राजा को स्वप्न में दिखाई दी थी। महाराजा ने आदरपूर्वक उस मूर्ति को मंदिर में स्थापित करवाया।

 
गोपाल मंदिर
 
होलकर राजपरिवार की महिलाएं महानुभाव पंथ का अनुसरण करने वाली थीं जिसमें कृष्ण को अवतारी पुरुष मानकर उनकी आराधना की जाती है। महाराजा यशवंतराव होलकर प्रथम की विधवा पत्नी कृष्णाबाई साहेबा उक्त संप्रदाय की अनुसरणकर्ता थीं। उन्होंने राजबाड़े के बिलकुल समीप दक्षिणी भाग में भगवान कृष्ण का मंदिर 1832 में निर्मित करवाया, जो गोपाल मंदिर के नाम से विख्यात है। इस मंदिर के निर्माण पर 80 हजार रुपए का व्यय हुआ था। इस मंदिर में विशाल हॉल है जिसे अलंकृत खूबसूरत स्तंभों से सजाया गया है। सुंदर नक्कासी वाली विस्तृत छत इन्हीं स्तंभों पर टिकी हुई है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस मंदिर को विशेष रूप से सज्जित किया जाता है।

 
पंढरीनाथ मंदिर
 
महाराजा मल्हारराव होलकर (द्वितीय) के शासनकाल में नगर के मध्य भगवान विष्णु का यह मंदिर बनवाया गया था जिसे पंढरीनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

 
अन्नपूर्णा मंदिर
 
इंदौर नगर के दक्षिण में दशहरा मैदान से आगे बने अन्नपूर्णा मंदिर की स्थापना सन् 1959 में हुई थी। थोड़े ही समय में इस मंदिर की प्रतिष्ठा बढ़ गई। हजारों श्रद्धालु प्रतिदिन इस मंदिर में दर्शनार्थ आते हैं। अन्नपूर्णा मंदिर के आकर्षक व भव्य मुख्य द्वार का निर्माण महामंडलेश्वर प्रभानंदगिरिजी ने सन् 1975 में कराया था। मां दुर्गा की सुंदर मूर्ति के अलावा मंदिर में अनेक देवीदेवताओं की छोटीबड़ी सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान शिव की विशाल मूर्ति का अपना आकर्षण है।

 
गीता भवन
 
इंदौर नगर के पूर्व में स्‍थित गीता भवन नगर की आध्यात्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र है। गीता भवन ट्रस्ट द्वारा संचालित गीता भवन के साथ अनेक पारमार्थिक गतिविधियां जुड़ी हुई हैं। ट्रस्ट द्वारा ही गीता भवन अस्पताल का भी संचालन किया जाता है। गत् 3536 वर्षों से यहां प्रतिवर्ष गीता जयंती महोत्सव दिसंबर मास में मनाया जाता है जिसमें दूरदूर से धर्मालु लोग विद्वान संतों के प्रवचन सुनने के लिए आते हैं। मंदिर में देवीदेवताओं की अनेक सुंदर मूर्तियां हैं।

 
खजराना का गणपति मंदिर
 
खजराना, इंदौर के निकट बसा एक छोटा सा गांव था, जो अब इंदौर नगर निगम की सीमा के अंदर ही है और इस प्रकार इंदौर का ही एक हिस्सा। खजराना में एक छोटी टेकरी पर अहिल्याबाई के शासनकाल का बना गणपति का मंदिर है, जहां बड़ी संख्या में लोग दर्शनार्थ जाते हैं। विशेषकर बुधवार को यहां दर्शनार्थियों की भारी भीड़ होती है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणपति का वार्षिक मेला लगता है। फिलहाल मंदिर की व्यवस्था भट्ट परिवार के पास है। धर्मालु यहां आकर कई तरह की मानताएं मानते हैं।

 
जैन मंदिर
 
सराफा के निकट शकर बाजार में निर्मित यह जैन मंदिर भी भव्य एवं सुंदर है। 1825 के लगभग लाल पत्थरों का उपयोग करते हुए इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था। इस दोमंजिला भवन का तिमंजिला द्वार बहुत सुंदर बनाया गया है।

 
कांच मंदिर
 
क्लॉथ मार्केट क्षेत्र में पुराने इतवारिया बाजार में स्व. सेठ हुकुमचंदजी के द्वारा निर्मित करवाया गया यह जैन मंदिर कांच के उपयोग के लिए जाना जाता है। संपूर्ण दोमंजिला में रंगबिरंगे कांच के टुकड़ों का उपयोग बड़ी खूबसूरती के साथ किया गया है। यह एक दर्शनीय मंदिर है।

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