अपना इंदौर

'अपना इंदौर' श्री अभय छजलानी द्वारा रचित और संपादित पुस्तक है। इसके कॉपीराइट संबंधी सभी अधिकार श्री छजलानी के पास सुरक्षित हैं।
होलकर शासन में देवी अहिल्याबाई के प्रशासन के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान से हम सभी परिचित हैं। साथ ही यह भी स्पष्ट है कि विपरीत परिस्थितियों में उन्हें...
होलकर नरेशों की मातृभाषा मराठी थी और वे अगर चाहते तो मराठी को अपने राज्य में थोप सकते थे। लेकिन वे यह भी जानते थे कि सर्वसाधारण की भाषा हिन्दी को समुचित...
जीवन में अनेक तिथियां महत्वपूर्ण होती हैं, जिनका सदैव स्मरण करते रहते हैं। यहां नगर के विकास क्रम की वे तिथियां दी जा रही हैं, जो सार्वदेशिक महत्व की हैं।...
इंदौर के वाणिज्य-व्यापार व राज्य की व्यापारिक नीति निर्धारित करने में 'ग्यारह पंच' नामक संस्था का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। महाराजा हरिराव होलकर के शासनकाल...
राजपरिवार के व्यक्तियों, सुल्तानों व सम्राटों की स्मृति में उनके स्मारक-मकबरे या छत्रियों का निर्माण भारत में मध्यकाल से चली आ रही एक परंपरा है। मुस्लिम...
इंदौर नगर में राजप्रासादों के अतिरिक्त राज्य की ओर से कुछ महत्वपूर्ण इमारतों का भी निर्माण करवाया गया। महाराजा तुकोजीराव (तृतीय) की अल्पवयस्कता काल में...
होलकर रियासत की नैरोगेज (मीटरगेज या छोटी) रेलवे लाइन इंदौर शहर को ग्रेट इंडियन पैनिन्सुला रेलवे लाइन से निमाड़ के प्रमुख शहर खंडवा को जोड़ने वाली प्रमुख...
7 नवंबर 1956 का वह दिन था, जब इंदौर नगर निगम के पहले महापौर श्री ईश्वरचंद्र जैन बने। श्री जैन 1955 के निर्वाचन में वार्ड नं. 18 से कांग्रेस के प्रत्याशी...
प्रशासकों द्वारा नगर निगम संचालित करने का सिलसिला 1957-58 से आरंभ होता है, इस पद पर बैठने वाले पहले व्यक्ति थे श्री नारायणसिंहजी। इनको तब इसलिए यह दायित्व...
मध्यप्रदेश बनने के बाद इंदौर नगर निगम के पहले चुनाव फरवरी 1958 में संपन्न हुए। तत्कालीन इंदौर 35 वार्डों में बंटा हुआ था, इनमें से 5 वार्डों को (वार्ड...
जूनी इंदौर स्थित गणपति मंदिर संभवत: नगर का सबसे प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर सरस्वती नदी के पूर्वी तट पर एक ऊंचे टीले पर बना हुआ है। मंदिर की पीठिका में...
इंदौर के समस्त महलों का सिरमौर है- लालबाग पैलेस। इस महल के साथ बाग का नाम इसलिए जुड़ा कि महल व बाग एक-दूसरे के सौंदर्य में चार चांद लगाने वाले हैं। लालबाग...
अंगरेजों व होलकरों के मध्य 1817 में महिदपुर में निर्णायक युद्ध लड़ा गया। युद्ध में होलकर पक्ष पराजित हुआ और 1818 में मंदसौर में उन्हें अंगरेजों से संधि...
महाराजा शिवाजीराव ने अपने अल्प वयस्क पुत्र के पक्ष में 1903 में होलकर गादी त्याग दी थी। उस समय प्रशासन का संचालन कौंसिल ऑफ रीजेंसी द्वारा चलाया जा रहा...
महिदपुर के युद्ध में पराजित हो जाने पर होलकर पक्ष को मंदसौर की संधि (1818 ई.) करनी पड़ी जिसके तहत इंदौर में ईस्ट इंडिया कंपनी को अपनी रेसीडेंसी कायम करने...
मराठा संघ के राजवंशों में होलकर राजवंश का स्थान विशिष्ट रहा है। जहां एक ओर देवी अहिल्या के गौरवपूर्ण कार्यों से इस वंश की कीर्ति सदा गुंजायमान रही, वहीं...
महाराजा शिवाजीराव होलकर के विरुद्ध रचे गए ब्रिटिश षड्‌यंत्र में दुर्भाग्यवश उन्हीं का प्रधानमंत्री (मिनिस्टर) दीवान रघुनाथराव भी सम्मिलित था। लेखक को,...
इंदौर में रेजीडेंट रहे सर केनेथ फिट्‌ज के कुछ संस्मरण महत्वपूर्ण हैं जो उन्होंने अपनी किताब 'ट्‌वायलाइट ऑफ द महाराजाज़' में संग्रहीत किए हैं। देशी रियासतों...
इंदौर में सर्वप्रथम फोटो स्टूडियो खोलने वाले लाला दीनदयाल थे। 1838-39 में योरप में फोटोग्राफी का आविष्कार होने के बाद शीघ्र बाद ही फोटोग्राफी का भारत में...
सेंट्रल इंडिया और विशेषकर इंदौर में 1857 का महान विद्रोह भड़कने के तुरंत बाद व आगे के समय में महाराजा तुकोजीराव होलकर का व्यवहार विवादास्पद बना रहा। महाराजा...